Rajasthan Politics: राजस्थान में इस साल ग्राम पंचायतों, ग्राम समितियों से लेकर जिला परिषदों की संख्या बढ़ जाएगी। भजनलाल सरकार ने पिछले साल के अंतिम माह 28 दिसंबर 2024 को ही पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्गठन का फैसला कर लिया था। कल 10 जनवरी 2025 को कैबिनेट के द्वारा इस आशय का फैसला लेने के बाद पंचायती राज विभाग ने सभी संबंधित संस्थाओं के पुनर्गठन की तैयारी शुरू कर दी है।
इसी क्रम में राजस्थान सरकार के पंचायती राज विभाग इस आशय का एक रोडमैप जारी कर दिया है। जिसमें यह बताया गया है कि किन मापदंडों के आधार पर यह समूची पुनर्गठन प्रक्रिया को लागू किया जाएगा।
पंचायती राज विभाग ने बनाए प्रावधान
राजस्थान के पंचायती राज विभाग ने ग्राम समितियों, ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन, पुनर्सीमांकन तथा नवसृजन के प्रावधान तय कर दिए हैं। विभाग के अनुसार किसी भी ग्राम पंचायत का प्रस्ताव तैयार करने के लिए उसकी जनसंख्या 3 हजार से 5500 तक होनी चाहिए। जो 2011 की जनगणना के आधार पर मानी जाएगी।
केवल चार मरुस्थलीय जिले बीकानेर, बाड़मेर, जैसलमेर तथा जोधपुर के साथ ही सहरिया क्षेत्र किशनगंज तथा शाहाबाद के लिए यह सीमा 2 हजार से 4 हजार तक विशेष प्रावधान किया गया है। इसी प्रकार आदिवासी क्षेत्र डूंगरपुर, उदयपुर, प्रतापगढ़ तथा बांसवाड़ा के लिए भी यही प्रावधान किए गए हैं।
जिला कलेक्टर के पास होगी प्रशासनिक शक्ति
पंचायतीराज विभाग के शासन सचिव डॉ जोगाराम के द्वारा जारी आदेश में कहा गया है कि ग्राम समितियों तथा ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन तथा नवसृजन के प्रस्ताव को तैयार करने से लेकर उसके अंतिम अनुमोदन कराए जाने की प्रक्रिया की शक्ति जिला कलेक्टर के पास अधिकृत होगी। ग्रामीणों की मांग पर उनके ग्राम को किसी भी दूसरी ग्राम पंचायत में शामिल किया जा सकेगा, लेकिन शर्त यह होगी कि उस ग्राम पंचायत की दूरी 6 किमी से अधिक न हो।
पंचायत समितियों का स्वरूप किया निर्धारित
पंचायतीराज विभाग के द्वारा नवसृजित पंचायती समितियों में उन्हीं का पुनर्गठन होगा जिसमें 40 से अधिक ग्राम पंचायतों तथा 2 लाख की जनसंख्या होगी। पुनर्गठित और नवसृजित ग्राम पंचायत समितियों में कम से कम 25 ग्राम पंचायतें होंगी। यदि किसी ग्राम समिति में 42 ग्राम पंचायतें हैं तो नवसृजित एक ग्राम समिति में 25 ग्राम पंचायतें तथा अन्य में 17 ग्राम पंचायतें होंगी।
जिला कलेक्टर प्रशासनिक दृष्टिकोण से अनुकूल होने पर निकटतम अथवा किसी एक या एक से अधिक पंचायत समितियों में से 8 ग्राम पंचायतों को लेकर 17 ग्राम पंचायत वाली पंचायत समिति में 25 ग्राम पंचायतों को रख सकेगा। इसमें पुनर्गठित और नवसृजित पंचायत समितियों तथा ग्राम पंचायतों के प्रस्तावों पर आपत्तियां भी लेना संभव होगा।
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