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कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने बड़ा खुलासा करते हुए राजस्थान की राजनीति में आने को लेकर बताया कि मेरा जमीनी राजनीति की सियासी एजुकेशन पूरी करने को राजस्थान आना जरूरी था।

Rajyavardhan Singh Rathore: कर्नल राज्यवर्धन सिंह एक ऐसा नाम जो राजस्थान के लिए अपने अद्भुत फैसलों के लिए चर्चित रहा है। जहां वह पहले कर्नल के रूप में देश की सीमा पर सेवा करते रहे तो उन्हीं हाथों से निशाना साधकर ओलंपिक में कांस्य पदक जीत खेल के मैदान के हीरो बने। इसके बाद जब लोकसभा चुनाव 2014 में पहली बार नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री बने तो 4 महीने में ही केंद्रीय मंत्री बनकर अपनी पहचान को राजनीति में भी सिद्ध कर दिया।

अब प्रश्न उठता है कि आखिर राजस्थान के जैसलमेर जिले में जन्मे वर्तमान राजनीतिज्ञ राज्यवर्धन सिंह राठौड़ दिल्ली की संसदीय राजनीति छोड़ जोतवाड़ा विधानसभा सीट से विधायक क्यों बन गए? क्या बीजेपी की राजनीति में उनका डिमोशन हो गया?  आखिरकार एक साक्षात्कार में उन्होंने इसके पीछे की बड़ी वजह का खुलासा कर ही दिया।

‘लोकतंत्र वाली लड़ाई न लड़ी तो नेता ही क्या’

एक मीडिया आउटलेट से बात करते हुए जब उनसे खेल का मैदान छोड़ राजनीति में आने के बारे पूछा गया तो उन्होंने अपने इस फैसले के पीछे एक सैनिक की सोच की भांति चुनौतियों का सामना करके उतरने का फैसला किया। क्यों कि ‘जब उन्होंने राजनीति में आने के लिए लोगों से सुझाव मांगे तो उन्होंने सीधे राज्यसभा जाने का सुझाव दिया था। मैंने सोचा यदि राजनीति में ही जाऊंगा तो सीधे लोकसभा में ही जाऊंगा।

क्योंकि असली राजनीति तो वही है जिसे जनता चुनकर विश्वास जताकर संसद में भेजे, न कि किसी नॉमिनेशन के द्वारा शॉर्टकट रास्ते के बल पर आप वहां पहुंचें। उन्होंने सेना की कहावत का उदाहरण देते हुए समझाया कि यदि युद्ध में गोली आपके कान के पास से न निकली तो वो फौजी कैसा?  इसी प्रकार राजनीति में आए और लोकतंत्र वाली लड़ाई ही न लड़ी तो वो नेता ही क्या! मैंने जो सोचा वो पाया।‘  

सियासी एजुकेशन पूरी करने राजस्थान आया

अपने साक्षात्कार में एक बड़ा खुलासा करते हुए राजस्थान की राजनीति में आने को लेकर उन्होंने बताया कि मेरा जमीनी राजनीति की सियासी एजुकेशन पूरी करने को राजस्थान आना जरूरी था। जिसके लिए मैं यहां आ गया। क्यों कि बात क्या है, जब 2014 में जब पहली बार लोकसभा पहुंचा तो पीएम मोदी ने मुझे मंत्री बना दिया। किंतु उन्होंने सबसे बड़ी कृपा तब की जब 2019 में मुझे दोबारा मंत्री नहीं बनाया। इससे मुझे यह सीख मिली कि मेरे मंत्री होने के समय जितने सैटेलाइट मेरे आसपास घूमते थे वे 2019 में अचानक सभी गायब हो गए। तब मेरा यह भ्रम टूटा कि यह मेरी कुर्सी की ताकत थी न कि मेरी।

जब राजस्थान की राजनीति देखता था तब पता चलता था कि संसदीय राजनीति एक रुतबा थी, जनता तो विधायकों के ही आसपास रहती थी। इसी जमीनी राजनीति को जानने के लिए पीएम मोदी ने मुझे सलाह दी कि जाइये राजस्थान पहले विधायक की लड़ाई लड़ें। मैं समझ गया कि मेरी सियासी एजूकेशन अभी पूरी होना बाकी है। 

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