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मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार आसावारा माता शक्तिपीठ का महत्व काफी ज्यादा है। इस मंदिर को लेकर यह बताया जाता है कि यहां आने के बाद लकवा के मरीज जल्द ठीक हो जाते हैं।

राजस्थान में कई प्रमुख शक्तिपीठ मौजूद हैं। इन्हीं में एक आसावारा माता शक्तिपीठ का नाम भी आता ,है जिसका महत्व काफी अलग है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में जो आता है, उसके दिन बदल जाते हैं। इस मंदिर में माता के सामने माथा टेकने के लिए भारी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस प्रख्यात मंदिर में खासकर लकवा रोग से पीड़ित मरीज आते हैं।

ऐसी धार्मिक मान्यता है कि यहां आने के बाद माता के दर्शन करने और कुंड में डुबकी लगाने से यह बीमारी दूर हो जाती है। ऐसा बताया जाता है कि लकवा से पीड़ित मरीज यहां आने के बाद कुछ दिनों तक रहते हैं और माता की आराधना करते हैं, जिसका फल भी मिलता है। 

जल्द ठीक होते हैं लकवा के मरीज 

मेवाड़ के प्रमुख शक्तिपीठों में शुमार आसावारा माता शक्तिपीठ में लकवा के मरीज परिवार के सहारे आते हैं। लेकिन यहां आने के बाद वो वापस अपने पांवों से चलकर जाते हैं। इसके चलते मंदिर परिसर में माता के चरणों में शरण लिए भारी संख्या में मरीजों का देखरेख किया जाता सकता है। इसी कारण के चलते माता का प्रणाम करने के लिए दूर देश से लकवा के मरीज यहां आते हैं। 

कुंड में डुबकी लगाने से दूर होता है रोग 

इस मंदिर में एक कुंड भी स्थित है जिसे लेकर यह बताया जाता है कि इसमें डुबकी लगाने से लकवा मरीज ठीक हो जाते हैं। माता की प्रतिमा को स्नान कराने के दौरान उतरे पानी को पिलाने और मंदिर के पास स्थित कुंड में नहाने से लकवा ग्रस्त रोगियों के स्वास्थ्य में तीव्र गति से बदलाव होता है। इस अद्भुत चमत्कार के कारण ही भक्त अपने रोगियों को लेकर माता के पास आते हैं और ठीक होकर वापस जाते हैं।

अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी में बसा है यह मंदिर 

इस शक्तिशाली मंदिर में जाने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की आवश्यकता नहीं है। आसावारा माता का यह मंदिर जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर भदेसर उपखंड के आसावारा गांव में स्थित है। मुख्य मार्ग पर यह मंदिर अरावली पर्वत की श्रृंखला की तलहटी में बना हुआ है। माता के इस मंदिर के पास एक बहुत बड़ा तालाब भी स्थित है। इस मंदिर का विस्तार भी काफी तेजी से हो रहा है।

माता की आरती में शामिल होते हैं मरीज 

माता रानी के इस मंदिर में आने के लिए भक्त कड़ी मशक्कत करते हैं। ऐसी मान्यता है कि जब यहां सुबह और शाम आरती होती है तो लकवा मरीज इसमें शामिल होते हैं और माता की आराधना करते हैं। यहां पर राजस्थान के अलावा, दूसरे राज्यों से भी लकवा मरीज आते हैं।
 

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