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Women Role in History of Rajasthan: राजस्थान भारत का एक ऐतिहासिक राज्य है। इस राज्य ने देश को कई वीर पुरुष तो दिया ही है, साथ ही साथ यहां की कई महिलाओं ने भी राजस्थान के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

Women Role in History of Rajasthan: राजस्थान के इतिहास में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं की भागीदारी भी प्रमुख रही है। राजस्थान में समय-समय पर होने वाले आंदोलन में यहां की कुछ विशेष महिलाओं ने भाग लिया। इन महिलाओं ने अपनी मातृभूमि की खातिर जेल की हवा खाई। आज कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताएंगे

1. कालीबाई

कालीबाई डूंगरपुर जिले की रास्तापाल गांव की एक भील परिवार की बेटी थी। कालीबाई ने अपने गुरु को बचाने के लिए अपना बलिदान दे दिया। पुलिस ने उनका सीना गोलियों से छलनी कर दिया था। आज भी इनका स्मृति स्मारक रास्तापाल गांव में बना हुआ है।

2. किशोरी देवी

किशोरी देवी एक स्वतंत्रता सेनानी सरदार हरलाल सिंह खर्रा की पत्नी की थी। एक बार सीकर जिले के कटराथल क्षेत्र में किशोरी देवी की अध्यक्षता में एक विशाल महिला सम्मेलन आयोजित किया गया था। यह सम्मेलन 1934 ई में महिलाओं के प्रति अमानवीय व्यवहार का विरोध करने के लिए किया गया था। इस सम्मेलन में इस क्षेत्र की लगभग दस हजार महिलाओं ने भाग लिया था।

3. खेतुबाई

खेतु भाई ने आजीवन खादी वस्त्र धारण करने का प्रण लिया हुआ था। यह एक बीकानेर के स्वतंत्रता सेनानी बैध मगाराम की बहन थी। जिन्होंने ने दुधवा खारा किसान आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया था।

4. श्रीमती सत्यभामा

सत्यभामा को गांधी जी की मानस पुत्री भी कहा जाता है। यह एक बूंदी के स्वतंत्रता सेनानी नित्यानंद नागर की पुत्रवधू थी। इन्होंने ब्यावर-अजमेर आंदोलन का नेतृत्व किया था।

5. कमला देवी

कमला देवी राजस्थान की प्रथम महिला पत्रकार थी। इन्होंने अजमेर से प्रकाशित होने वाले एक प्रकाश पत्र से लेखन का कार्य शुरू किया था।

6. अंजना देवी चौधरी

अंजना देवी का जन्म राजस्थान के सीकर जिले के श्रीमाधोपुर में हुआ था। इनका विवाह राजस्थान सेवा संघ के एक कार्यकर्ता रामनारायण चौधरी से हुआ था। अंजना देवी ने बिजोलिया और बेगू किसान आंदोलन में महिलाओं का नेतृत्व किया था। इन्होंने मेवाड़ बूंदी राज्य की महिलाओं में समाज सुधार की भावना को बढ़ावा दिया।

उन्होंने बिजोलिया में 500 महिलाओं के समूह का नेतृत्व करके हिरासत में लिए किसानों को छुड़ाया था। बाद में इन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया। आंदोलन में भाग लेने के कारण इनको बूंदी राज्य से निर्वासित होना पड़ा था। अंजना देवी ने अजमेर के नारोली आश्रम में रहकर हरिजनों की सेवा करी थी।

7. नगेंद्र बाला

नगेंद्र बाला स्वतंत्रता संग्राम के बाद कोटा की जिला प्रमुख रही थी। यह केसरी बारहठ की पौत्री थी। इन्होंने किसान आंदोलन में भाग लिया था। इनको राजस्थान की प्रथम महिला जिला प्रमुख होने का सौभाग्य प्राप्त है। नागेंद्र वाला राजस्थान विधानसभा की भी सदस्य रहीथी।

8. रतन शास्त्री

इनका जन्म  मध्य प्रदेश में हुआ था। इनका विवाह हीरालाल शास्त्री से हुआ। रतन शास्त्री ने 1939 ई में जयपुर राज्य  प्रजामंडल के सत्याग्रह आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया था। इन्होंने 1942 ई के भारत छोड़ो आंदोलन में कार्यकर्ताओं और उनके परिवारों की सेवा की थी। रतन शास्त्री को पद्मश्री से सम्मानित 1955 ई में किया गया था। 1975 ई में इनको पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया। पद्म विभूषण से सम्मानित होने वाली यह राजस्थान की पहली महिला थी।

9. नारायणी देवी वर्मा

नारायणी देवी का जन्म मध्य प्रदेश के सिंगोली में हुआ था। इनका विवाह श्री माणिक्य लाल वर्मा से हुआ था। इन्होंने बिजोलिया किसान आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया। बाद में इसी आंदोलन के चलते इनको कुंभलगढ़ के किले में बंदी बनाकर रखा गया। इन्होंने भीलवाड़ा में महिला आश्रम संस्था की स्थापना कर महिला शिक्षा तथा जागृति के लिए कार्य किया। 1970 में इनको राज्यसभा से निर्वाचित किया गया।

10. जानकी देवी बजाज

जानकी देवी का जन्म मध्य प्रदेश के जावरा में हुआ था। इनका विवाह जमनालाल बजाज से हुआ। शादी करके ये वर्धा आ गई। जमनालाल बजाज की मृत्यु के बाद इनका गौ सेवा संघ की प्रमुख बनाया गया। इनको जयपुर प्रजामंडल के अधिवेशन की अध्यक्षा चुना गया। विनोबा भावे के भूदान आंदोलन के दौरान उन्होंने 108 कुओं का भी निर्माण करवाया। बाद में उनको सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

10. संता त्रिवेदी

संता त्रिवेदी का जन्म नागपुर महाराष्ट्र में हुआ था। त्रिवेदी ने 1947 ई में राजस्थान महिला परिषद की स्थापना उदयपुर में करती थी।

11. मिस लूटर

मिस लूटर का जन्म वर्मा  के क्योमो में हुआ था। दूसरे विश्व युद्ध के समय मिसलूटर  भारत आई थी। इस समय जयपुर की महारानी गायत्री देवी ने इनको राजपूत घराने की लड़कियों को पढ़ने के लिए एक स्कूल शुरू करवाया। 1934 ईस्वी में इनको महारानी गायत्री देवी स्कूल में प्राचार्य पद पर नियुक्त किया गया।  महिलाओं में शिक्षा के प्रसार के लिए भारत सरकार ने 1970 ई में मिस लूटर को पद्मश्री सम्मान से सम्मानित किया गया। इनको 1976 ई में ब्रिटिश सरकार ने भी महिलाओं की शिक्षा के लिए सम्मानित किया था।

12. लक्ष्मी देवी आचार्य

लक्ष्मी देवी कोलकाता में बीकानेर प्रजामंडल की अध्यक्ष रही थी। इन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन और स्वदेशी आंदोलन में बढ़ चढ़कर भाग लिया था।

13. विजय बहन भावसार

इन्होंने विधवा विवाह कर समाज के सामने एक आदर्श प्रस्तुत किया था। उनके नेतृत्व में प्रजामंडल की सहयोगी संस्था महिला मंडल का गठन किया गया था।

14. अरुणा राय

अरुणा राय रमन मैग्सेसे पुरस्कार जीतने वाली राजस्थान की प्रथम महिला है। इनका सूचना का अधिकार और रोजगार गारंटी कानून पारित करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

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