Chittorgarh Fort: शाही राज्य राजस्थान में ऐसे कई सारे किले हैं, जिसका इतिहास सुनकर और संस्कृति देखकर आज भी दिमाग हिल जाता है। ऐसे ही आज हम आपको एक किले के बारे में बताएंगे। इस किले को भारत का सबसे विशाल किला भी कहा जाता है। इसके निर्माण को महाभारत युग से जोड़कर बताया जाता है। इसे दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। आज हम आपको चित्तौड़गढ़ दुर्ग किले के बारे में जानकारी देंगे, जिसे राजस्थान में सभी दुर्गों का सिरमौर भी कहा गया है।
7 सौ एकड़ में फैला है यह दुर्ग
करीब 7 सौ एकड़ में फैला चित्तौड़गढ़ दुर्ग किले को यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया है। इस किले पर अलग-अलग समय में कई राजाओं का शासन भी रहा है। आठवीं सदी में चित्तौड़गढ़ में गुहिम राजवंश के संस्थापक राज बप्पा रावल ने मौर्य वंश के अंतिम किया था। इस विशाल किले पर सोलंकी से लेकर परमार तक के शासनकाल के समय में विदेशी आक्रमण भी हुए।
एक लाख से अधिक लोग किले में करते थे निवास
बताया जाता है कि एक समय यहां यानी चित्तौड़गढ़ किले में एक लाख से भी अधिक लोग निवास करते थे। इनमें राजा और उनकी रानियां ही नहीं, बल्कि दास और दासियां भी रहा करती थीं। इस किले को लेकर दिलचस्प बात तो यह है कि इसका निर्माण किस समय और किसने करवाया इसका पता आज भी नहीं चल पाया है। हालांकि, कुछ लोग यह बताते हैं कि चित्तौड़गढ़ के किले को मौर्यवंशी राजा चित्रांगद मौर्य ने सातवीं सदी में बनवाया था। वहीं, कइयों का मानना है कि इसका निर्माण महाभारत काल से जुड़ा हुआ है।
भीम ने योगी से मांगी थी चमत्कारी पत्थर
इस किले के पीछे एक कहानी यह भी है कि जब भीम संपत्ति की खोज करने के लिए निकले, तो रास्ते में उनकी मुलाकात एक योगी से होती है। इस मुलाकात के दौरान भीम ने उस योगी से चमत्कारी पत्थर मांग लिया था। उस योगी ने भीम की बात मानते हुए अपना पत्थर दे दिया और भीम से रात में ही पहाड़ी पर एक किले का निर्माण करवाने को कहा। इसके लिए भीम तैयार हो गए और अपने सभी भाइयों के साथ मिलकर इसे बनाने में जुड़ गए।