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Rana sanga and babur: महाराणा सांगा और बाबर के इतिहास को लेकर कई इतिहासकारों का मानना है कि बाबर ने महाराणा सांगा को भारत आने का निमंत्रण दिया था। वहीं कुछ इतिहासकारों का मानना है कि बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर राणा सांगा को मित्रता का संदेश भिजवाया था।

Rana sanga and babur: इतिहास के पन्नों में कई युद्धों को आज भी पढ़ा और समझा जाता है। इन्हीं युद्धों में से एक है 1526 ई. में लड़ा गया पानीपत का युद्ध। यह जंग मुगल बादशाह बाबर और दिल्ली सल्तनत के सुल्तान इब्राहिम लोदी के बीच लड़ी गई थी। इस युद्ध में इब्राहिम लोदी की बुरी तरह से हार हुई थी। जिसके नतीजे के बाद भारत के इतिहास ने बड़ा मोड़ लिया था। 

युद्ध जीतने के बाद बाबर की द्वारा कई राजाओं को अपनी अधीनता स्वीकार करने का संदेश भेजा गया था। जिसमें कई राजाओं ने संदेश को कुबूल किया था वहीं कुछ राजाओं द्वारा इस संदेश को मानने से इनकार कर दिया था। 
 
इब्राहिम से कैसे जीता था बाबर?

मेवाड़ के राजा महाराणा सांगा की बात करे तो उन्होने भी बाबर की अधीनता को मानने से इनकार कर दिया था। इतिहासकारों के अनुसार अपनी शूरवीरता से महाराणा सांगा की सेना ने बाबर की सेना को बुरी तरह से हरा दिया था। 

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महाराणा सांगा और बाबर के इतिहास की बात करें तो कई इतिहासकारों का मानना है कि बाबर ने महाराणा सांगा को भारत आने का निमंत्रण दिया था। वहीं कुछ इतिहासकारों के मुताबिक इब्राहिम लोदी और महाराणा सांगा की दुश्मनी बाबर को पता थी, उसके बाद बाबर ने इब्राहिम लोदी को हराकर राणा सांगा को मित्रता का संदेश भिजवाया था। 
 
सांगा ने बाबर को भारत बुलाया था?
राष्ट्रीय राजनीति में मेवाड़ की प्रभाव नामक बुक के लेखक डॉ. मोहनलाल गुप्त ने लिखा है कि दूत ने महाराजा से अनुरोध किया है कि बादशाह बाबर इब्राहिम लोदी से युद्ध करना चाहते हैं, इसके लिए वे यह संधि पत्र भिजवा रहे है। इसी किताब में वो आगे लिखते है कि बाबर ने पत्र में लिखा कि मैं इधर से दिल्ली पर आक्रमण करेंगे और आज उधर से आगर पर आक्रमण करें। इसके बाद लोदी हमारी अधीनता स्वीकार कर लेगा। 

वहीं कुछ इतिहासकारों का कहना है कि महाराणा सांगा ने बाबर के संदेश पर अपनी स्वीकृति दी थी। महाराणा सांगा ने ऐसा इसलिए किया था क्योंकि वो विदेशी शक्ति से ही विदेशी शासक का अंत करना चाहते थे।

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