Nagrik Kila: राजस्थान के जालोर जिले का नागरिक किला स्वतंत्रता आंदोलन के समय क्रांतिकारियों पर हुए जुल्म का गवाह है। जालोर की स्वर्णगिरी पहाड़ी पर बने इस किले में 1936 में स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल हुए क्रांतिकारी जैसे मथुरादार माथुर आदि स्वतंत्रता सेनानियों को कैद किया गया था।
इतिहासकारों के मुताबिक उस समय पूरे देश के साथ-साथ मारवाड़ में भी राजनैतिक चेतना का वातावरण बना हुआ था। यहां भी मारवाड़ लोक परिषद के लोगों द्वारा मारवाड़ हितकारिणी सभा के संरक्षण के लिए प्रदर्शन किए जा रहे थे।
इन कारणों से हो रहे थे प्रदर्शन
आंदोलन में बोलने और लिखने की आजादी, प्रेस एक्ट हटाने, खाद्य वस्तुओं को सस्ता करने और मुन कमेटियों के पुनर्गठन की मांग को लेकर प्रदर्शन किए जा रहे थे। आंदोलन को देखते हुए शासकों द्वारा नेताओं को पकड़कर जुर्माने लगाए गए, लेकिन इसके बावजूद भी आंदोलन शांत नहीं हुआ। जिसके बाद स्वतंत्रता सैनानियों को लगभग 6 महीने तक किले में कैद करके रखा गया था।
किले से जुड़ी कुछ खास बातें
जालोर के इस किले का निर्माण प्रतिहार राजवंश के नाटभर प्रथम ने 8वीं सदी में कराया था। इसमें 6 महीने तक कई बड़े स्वंतत्रता सैनानियों को कैद करके रखा गया था। यह किला 1311 फिट की ऊंचाई की पहाड़ी पर स्थित है। इतिहासकार संदीन जोशी के मुताबिक इस किले में आज तक कभी हमला नहीं हुआ है। इसकी दीवारें 11 से 15 फिट चौड़ी हैं। इस किले के अंदर 4 बड़े आंदोलनकारी कैद रहे और 3 बाड़मेर के सिवाणा किले में कैद थे। हालाकिं इस समय किसी की मौत नहीं हुई थी।
राजस्थान सरकार के द्वारा की जा रही है किले की देखभाल
फिलहाल इस किले की स्थिति सही है। यहां किसी प्रकार की कोई स्मारक नहीं है और इसकी देखभार राजस्थान सरकार और पुरातत्व विभाग के द्वारा की जा रही है।
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