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Rajasthan First Paramvir Chakra: झुंझुनू जिले के रहने वाले शूरवीर हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत राजस्थान के पहले सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र विजेता है। 1948 को पाकिस्तान के खिलाफ जंग में उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।

Rajasthan First Paramvir Chakra: शूरवीर हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत राजस्थान के पहले सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र विजेता है। साल 1948 को पाकिस्तान के खिलाफ जंग में उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे। 18 जुलाई के दिन

राजस्थान के शूरवीर हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत ने पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध में अपनी जान गवा दी थी। उनके इस बलिदान के लिए उन्हें साल 1952 में सर्वोच्च भारतीय सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से भी नवाजा गया था। राजस्थान के वे पहले ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें परमवीर चक्र दिया गया। 
 
झुंझुनू जिले के रहने वाले थे मेजर पीरू सिंह

हवलदार मेजर पीरू सिंह शेखावत का जन्म राजस्थान के झुंझुनू जिले के बेरी गांव में हुआ था। उनके परिवार वाले बताते है कि वे बचपन से ही निडर थे और हमेशा सेना में भर्ती होने का जज्बा रखते थे। कम उम्र के कारण वे दो बार सेना में भर्ती नहीं हो सके, जिसके बाद वे ब्रिटिश भारतीय सेना में भर्ती हुए और उन्हें पहली पंजाब रेजिमेंट में शामिल किया गया। 

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साल 1948 में वे राजपूताना राइफल्स में भारतीय सेवा में अपनी ड्यूटी कर रहे थे। इसी बीच उन्हें जम्मू और कश्मीर के थिथवाल के एक कब्जे वाली पहाड़ी पर हमला करने का आदेश दिया गया था। इसके लिए उन्होंने जैसे ही अपने कदम आगे बढ़ाएं दूसरी ओर से एमएमजी फायर व ग्रेनेड की बरसात हो गई। 
 
“राजा रामचंद्र की जय” था आखिरी संदेश 

लेकिन इसके बावजूद भी सीएचएम पीरू सिंह अपने अन्य सैनिकों के साथ युद्ध लड़ते रहे और जख्मी हालात में भी दो एमएमजी पोस्ट को नष्ट कर दिया। जानकारी के मुताबिक मोर्चे पर शहीद होने वाले वे आखिरी सैनिक थे और उन्होंने अपनी आखिरी सांस देश को बचाने के लिए समर्पित कर दी। बताया जाता है कि इस युद्ध के दौरान उन्होंने चाकू से ही छह पाकिस्तानी सैनिकों की जान ले ली थी और ग्रेनेड विस्फोट होने से पहले उन्होंने वॉकी-टॉकी के जरिए एक आखिरी संदेश भिजवाया था, जिसमें उन्होंने कहा था “राजा रामचंद्र की जय”।

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