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Gagron Fort : गागरोन किला राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है। यहां सूफी संत मीठे शाह का दरबार भी है और मंदिर भी स्थित है। दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे इस दुर्ग को जल दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है।

Gagron Fort : भारत अपनी संस्कृति और विविधता के लिए पूरी दुनिया में विख्यात है। भारत का संविधान धर्म निरपेक्ष में चलता है, यानी यहां रहने वाले लोग अपने अपने धर्म की उपासना कर सकते हैं। यही कारण है कि सदियों से कई धर्म के लोग यहां निवास करते हैं। यहां हिन्दू - मुस्लिम की भाईचारे की मिसाल दी जाती है। ऐसे ही राजस्थान का एक किला है जिस हिंदू मुस्लिम का प्रतीक कहा जाता है। गागरोन किला राजस्थान के झालावाड़ में स्थित है। यहां सूफी संत मीठे शाह का दरबार भी है और मंदिर भी स्थित है। दुर्गम पहाड़ियों के बीच बसे इस दुर्ग को जल दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है। बिना नींव के इस किले का निर्माण किया गया है। वहीं बड़े-बड़े चट्टानों से इसे निर्मित किया गया है। इस दुर्ग के चारों ओर कालीसिंध और आहू नदी बहती है।

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गागरोन किला में तलवारों की टंकार नहीं एकता की गूंज

राजस्थान के झालावाड़ से गागरोन किला 7 किलोमीटर दूर स्थित है। यह किला प्रदेश में आर्किटेक्चर का एक बेहतरीन नमूना है। जिसे हिंदू मुस्लिम एकता के प्रतीक के रूप में भी जाना जाता है। यहां के राजा प्रताप सिंह ने रामानंद संप्रदाय को अपनाकर राजगद्दी को त्याग दिया था। वहीं दूसरी ओर सूफी संत पीर मीठे महाबली शाह का दरबार भी मौजूद है। राजस्थान की प्रचलित ढोला मारू लोक कथा के राजा धोलागढ़ गागरोन का पूर्व राजा था। किले में मंदिर और दरगाह दोनों स्थित है जहां हिंदू और मुस्लिम दोनों श्रद्धा के साथ आते हैं। 

देश का एकमात्र जल दुर्ग 

देशभर में कई अनोखी विरासत है। जो अपनी बनावट के लिए इतिहास में प्रसिद्ध है। इनमें से गैरों का किला है जो प्रसिद्ध है। बिना नींव के ये किला चारों ओर पानी से घिरा हुआ है। किले में जौहर की कहानी भी समाहित है। किले को जून 2013 में विश्व विरासत में शामिल किया गया। प्रदेश का इकलौता जल दुर्ग है। ये दुर्ग मिनी लंका से भी प्रचलित है।

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