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Hope Circus: आज हम अलवर शहर की उस इमारत की बात करें जो अंग्रेजों के समय से कई सालों से पर्यटकों को अपनी ओर आर्किषत कर रही। होप सर्कस नामक इस इमारत का निर्माण वर्ष 1940 में महाराजा तेज सिंह ने कराया था।

Hope Circus: राजस्थान का हर जिला किसी ना किसी खास पर्यटन स्थलों के लिए जाना जाता है। जयपुर हो या उदयपुर यहां आपको कई प्राचीन मंदिर, किले, बाग, झरने आदि चीजें देखने को मिलेंगे। यदि हम बात करें राज्य के अलवर जिले की तो यहां भी पर्यटकों की भारी भीड़ दिखाई पड़ती है। यहां आपको किले, मंदिर, पहाड़ के अलावा बोटिंग, सरिस्का टाइगर रिजर्व, एशिया का हांटेड हाउस, भूतिया फोर्ट जैसी कई आकर्षक जगहें देखने को मिलेगी।

आज हम अलवर शहर की उस इमारत की बात करें, जो अंग्रेजों के समय से कई सालों से पर्यटकों को अपनी ओर आर्किषत कर रही। होप सर्कस नामक इस इमारत का निर्माण वर्ष 1940 में महाराजा तेज सिंह ने कराया था। आज इस लेख में हम आपको इस इमारत से जुड़ा इतिहास के साथ-साथ इसका दिल्ली की मशहूर कनॉट प्लेस से कनेक्शन के बारे में भी बताएंगे। 

ऊपरी मंजिल पर बना है शिव मंदिर 

इतिहासकारों के मुताबिक अलवर शहर के बीचों-बीच बनी इस इमारत से पहले यहां एक मिट्टी का टीला बना हुआ था, जिसकी लोग पूजा किया करते थे। दूर से देखने पर यह इमारत एक कमर के रूप में नजर आती है। इसके उपरी मंजिल पर भगवान शिव का प्राचीन मंदिर बना हुआ है। होम सर्कस की सबसे ऊंची मंजिल को कैलाश बुर्ज के नाम से भी जाना जाता है। 

वायसराय की बेटी को समर्पित है होम कोर्स 

अंग्रेजो के समय के वायसराय रह चुके अलेक्जेंडर की बेटी लेडी होप सन् 1940 में अलवर की यात्रा करने आई थी। 1933 में अलवर के राजा जयसिंह को निर्वासन में भेजने के बाद अंग्रेजी शासकों ने इस इमारत को अपने पास लेकर 1940 में इसके निर्माण का कार्य पूरा कराया था। बेटी के नाम पर ही इस इमारत को होप सर्कस करने जाने लगा। 

दिल्ली के कनॉट प्लेस का कनेक्शन 

अलवर की फेमस होप सर्कस इमारत को दिल्ली के कनॉट प्लेस की तर्ज पर बनाया गया है। कनॉट प्लेस के आस-पास आपको बाजार नजर आएंगा ऐसा कुछ माहौल आपको होप सर्कस के चारों तरफ देखने को मिलेगा जहां हर जगह दुकान है। यह बाजार शहर का मुख्य मार्केट है। निर्माण के समय यहां केवल 40 दुकानें होती थी लेकिन आज यहां सैकड़ों दुकानें मौजूद है।

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