Rajasthan Tourism: राजस्थान में अनोखे गांवों की कमी नहीं है। ये गांव अपनी अनोखी परंपरा और समृद्धि को आज भी प्रचलन में लाते हैं। ऐसा ही एक एक गांव भीलवाड़ा जिले में बसा हुआ है, जो महाराष्ट्र के शनि मंदिर की तर्ज पर घर के बाहर दरवाजे नहीं लगाए जाते हैं। यह अनोखी काफी पुरानी बताई जाती है। इस गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यहां एक भी घर में दरवाजा नहीं लगा हुआ है।
सबसे ज्यादा चौंकाने वाली बात तो यह है कि घर में दरवाजे नहीं होने के बावजूद भी चोरी की घटना आज तक नहीं हुई है। यहां के लोगों का ऐसा मानना है कि करीब 300 साल पहले एक संत ने दान में एक आशीर्वाद दिया था। संत के इसी वरदान के कारण यहां चोरी की वारदात नहीं होती है।
गांव में कभी नहीं होती चोरी की घटना
राजस्थान में यह गांव भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ उपखंड क्षेत्र में पड़ता है, जिसका नाम खेड़ा है। सारण का यह खेड़ा गांव अपने आप में एक चर्चा का विषय बना हुआ है। इस गांव में करीब सौ से ज्यादा परिवार रहते हैं लेकिन एक भी घर में दरवाजा नहीं है। दरवाजा नहीं होने के बाद भी चोर यहां चोरी नहीं करते। इस रहस्य को लेकर गांव वाले यह मानते हैं घर में दरवाजे नहीं होने से सुख शांति का माहौल रहता है और कभी अनहोनी नहीं होती है।
संत ने आशीर्वाद में दिया यह वरदान
सारण के खेड़ा गांव के निवासी का ऐसा मानना है कि उनके पूर्वजों ने यह जानकारी दी थी कि 300 साल पहले एक संत यहां आए थे और उन्होंने उबली नदी के किनारे स्थित शिव मंदिर में तपस्या की थी। जब कड़ी तपस्या के बाद संत वापस जाने लगा तो वह प्रसन्न होकर गांव वालों को वरदान देते हुए कहा कि घर में कभी दरवाजा नहीं लगाना। इससे तुम्हारे घर की सुख शांति और समृद्धि नहीं जाएगी साथ ही, कभी चोरी की घटना नहीं होगी। उसी दिन से इस गांव के किसी भी घर में दरवाजे नहीं लगाए गए हैं। ऐसा कहा जाता है कि जो घर में दरवाजा लगाता है उसे काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
आवारा जानवरों से बचने के लिए लगाते हैं लकड़ी के टांटी
गांव में कभी कभी जंगली जानवर आ जाते हैं, जिसके रोकथाम के लिए गांव वाले दरवाजे के बदले लकड़ी का जालीनुमा टांटी लगाते हैं। ऐसा करने से आवारा जानवर दिक्कत नहीं देते हैं। यहां के लोगों के मुताबिक कुछ अनहोनी से बचने के लिए कभी गेट नहीं लगाया गया है।