Shri Mallinath Cattle Fair: राजस्थान में यूं तो कई आकर्षक दृश्य देखने को मौजूद है। वही यह शहर अपनी संस्कृति और परंपरा को कई परिदृश्य में लोगों के सामने प्रस्तुत भी करता है। राजस्थान का नाम सुनते ही आपके मन में सबसे पहला ख्याल आता है रेत, लेकिन रेत का जहाज कहा जाने वाला ऊंट इसी राजस्थान में होते है। इस शहर में पशुओं से जुड़ी हुई कई बड़े पशु मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें कई भव्य समारोह और खान-पान से लेकर राजस्थान की संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन भी किया जाता है। सार्वजनिक मंच के माध्यम से हम अपने हर उसे परंपरा को काफी बेहतर तरीके से प्रस्तुत कर पाते हैं। यूं तो राजस्थान में कई बड़े पशु मेला का आयोजन होता है। इन्हीं पशु मेलों में से एक खास मेला का आयोजन राजस्थान के बालोतरा जिले के लूनी नदी पर लगता है। जिसे श्री मल्लिनाथ पशु मेला के नाम से जाना जाता है। इस मेले का लुत्फ उठाने भारी संख्या में लोग आते हैं।
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क्यों मनाया जाता है यह पशु मेला?
राजस्थान का प्रसिद्ध पशु मेला में श्री मल्लीनाथ पशु मेला अपना खास स्थान रखता है। बता दे की राजस्थान का यह प्रसिद्ध पशु मेला 650 सौ वर्षों से लगता है। वही इस मेले को मानने को लेकर यह मान्यता है कि यह मेला वीर योद्धा रावल मल्लीनाथ की स्मृति में आयोजित होता है। ऐसा माना जाता है कि विक्रम संवत 1431 में मल्लीनाथ के गद्दी पर आसीन होने के शुभ अवसर पर एक विशाल समारोह का आयोजन किया गया था। इस आयोजन में दूर-दूर से हजारों लोग शामिल हुए। मेले से लौटने से पहले लोगों ने यहां पर घोड़ा, ऊंट और सुडौल बैलों का आपसी आदान-प्रदान किया। तभी से इस मेले को उद्धव माना जाता है
कब मनाया जाता है यह पशु मेला?
बता दें की श्री मल्लिनाथ पशु मेला बालोतरा जिले के पचपदरा तहसील के तिलवाड़ा गांव में लूनी नदी पर प्रतिवर्ष चैत्र बुदी ग्यारस से चैत्र सुदी ग्यारस तक लगता है। वहीं इस मेले का संचालन पशुपालन विभाग ने सन 1958 में संभाला।