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Topkhana Rajasthan: राजस्थान के जालौर में राजा भोज द्वारा बनाई गई प्राचीन पाठशाला मौजूद है। राठौड़ राजाओं के शासनकाल के दौरान इस पाठशाला में तोपे रखी गई थीं। इसी वजह से इसे तोपखाना कहा जाता है।

Topkhana Rajasthan: यदि आप इतिहास में रूचि रखते हैं और पुराने जमाने के चीजों के बारें में जानना पसंद करते हैं, तो एक बार राजस्थान के जालौर जरूर जाएं। यहां परमार राजा भोज के काल में बनी एक प्राचीन संस्कृत पाठशाला और देवालय के कुछ हिस्से मौजूद हैं। ये आज भी अपनी पूरी भव्यता को संजाए हुए हैं। बता दें कि राजा भोज संस्कृत साहित्य के बहुत बड़े विद्वान् हुआ करते थे। इसके प्रचार के लिए उन्होंने कई शालायों का निर्माण कराया था। धार, अजमेर और जालौर में स्थित ये तीनों पाठशालायें में ही एक ही आकृति बनी हुई है। 

तोपखाना नाम से प्रसिद्ध है यह शाला
राजस्थान के जालौर में स्थित इस पाठशाला को तोपखाना के नाम से जाना जाता है। राठौड़ राजाओं के शासनकाल के दौरान इस पाठशाला में तोपे रखी गई थी इसी वजह से इसे तोपखाना कहा जाता है। आजादी के बाद रसद विभाग की ओर से इसमें अनाज रखा जाने लगा। आज के समय में यह पुरातत्व विभाग के अंदर है और यहां एक चौकीदार पूरे समय रहता है। 

पत्थरों से की गई है बारीक कारीगरी 
जालौर की इस पाठशाला को पत्थरों की बारीक और खूबसूरत कारीगरी से तैयार किया गया है। इसके दोनो ओर पाश्र्वों में छोटे-छोटे देवालय बनाएं गए है, जिसमें फिलहाल कोई मूर्ति स्थापित नहीं है। अंदर जाते ही एक मुख्य आहता बनाया हुआ है, जिसके विशाल स्तंभों पर पूरी पाठशाला टिकी हुई है। सभी स्तंभों पर बारीक कारीगरी की गई है। लोग इस कलाकारी को देखने के लिए देश विदेश से यहां आते है। 

पाठशाला में मौजूद है 276 खंभे
पाठशाला के प्रांगण के दाहिनी ओर एक कमरा बना हुआ है जो जमीन से करीब 10 फीट ऊपर बनाया गया है। जहां आप सीढियों के माध्यम से जा सकते हैं। यहां आचार्य के बैठने की भी सुविधा थी जिसपर बैठकर वे सभी विद्यार्थियों को संबोधित करते थे। इस स्मारक में कुल 276 खंभे बने हुए हैं, जिनपर संस्कृत भाषा में शिलालेख लिखे हुए हैं।

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