Kolvi Caves: राजस्थान के झालावाड़ इलाके में आज भी बौद्ध सभ्यता के समय की 2000 वर्ष पुरानी गुफाएं मौजूद है। भले ही यह गुफाएं भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा कई सालों से संरक्षित की गई है, लेकिन कुदरत का यह खजाना आज भी दुनिया की नजरों से काफी दूर है।
कहा जाता है कि इस जगह पर कभी 50 गुफाएं हुआ करती थी, लेकिन आज हालात कुछ ऐसी है कि अब कुछ ही गुफाएं बची हुई है। इन गुफाओं के अंदर कई प्राचीन बुद्ध की मूर्ति पाई गई है। इसके अलावा कोल्वी गांव से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित बिनायगा नामक जगह पर लगभग 20 गुफाएं मौजूद है, वहीं चिरायका में लगभग 15 गुफाएं पाई गई हैं।
बौद्ध काल के समय से हैं गुफाएं
अनुमान है कि यह गुफाएं बौद्ध काल यानि 9वीं सदि से यहां मौजूद हैं। कहा जाता है कि इस समय बौद्ध धर्म के हीनयान और महायान के स्थापत्य रहा करते थे। कोल्वी, विनायका, गुनई व हथियागौड़ जैसे इलाकों में आपको अश्वनान प्रकार की गुफाएं देखने को मिल जाएगी।
बौद्ध भिक्षुओं के लिए बनाई गई थी गुफाएं
इतिहासकारों के अनुसार राजस्थान का कोल्वी इलाका बौद्ध समूह की गुफाओं का सबसे बड़ा जाल माना जाता है। कहा जाता है बौद्ध भिक्षु यहां सोया करते होंगे, क्यों गुफाओं के अंदर से तकिए भी पाए गए हैं। इसके अलावा अग्निकुड़, चक्र गंडिका स्तूप, भगवान बुद्ध की प्राचीन प्रतिमाएं आदि देखे गए हैं।
बौद्ध धर्म का केंद्र रहा है राजस्थान
राजस्थान और बौद्ध धर्म का गहरा रिश्ता है। राज्य की भूमि पर बौद्ध धर्म के कई प्रमाए मिले हैं, जो यह साबित करते है कि यह स्थान उनके लिए काफी खास था। सदियों पहले राजस्थान के कुछ हिस्सों में शांति की तलाश में कई बौद्ध संन्यासियों ने यहां ध्यान किया था। कई इतिहासकार और पर्यटक यहां आकर बौद्ध धर्म की पुरानी गुफाओं को देखने और इतिहास के बारे में जानने के लिए यहां दूर-दूर से आते हैं।
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