Great Wall of India: राजस्थान भारत का वो प्रदेश है, जिसके हर इलाके का अलग ही इतिहास है। फिर चाहे किले हो, नदियों हो या फिर मंदिर, प्रदेश के हर जगह की अलग ही पहचान है। राजस्थान में हजारों किले स्थित है और हर किले की अपनी पहचान और इतिहास है। इन्हीं किलों में से एक है मशहूर कुम्भलगढ़ का किला जिसे ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया के नाम से भी जाना जाता है। इस किले की खास बात यह है कि इसकी लंबाई 36 किमी है जो दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दिवार है।
कुम्भलगढ़ किले का इतिहास
कुम्भलगढ़ किले का इतिहास बेहद पुराना है। इससे जुड़ी एक पौराणिक कथा है, जिसके मुताबिक साल 1443 में महाराणा कुंभा द्वारा इस दिवार का निर्माण किया गया था। इसके निर्माण में महाराणा कुंभा को काफी बाधाएं आई थी, जिसके बाद एक संत ने कहा था कि दिवार का निर्माण तभी हो सकता है जब कोई इंसान अपनी मर्जी से अपना बलिदान देगा।
यह बात सुनकर महाराणा कुंभा काफी परेशान हो गए तब संत खुद की बलि चढ़ाने के लिए तैयार हो गए। उन्होंने कहा कि बलि देने वाला व्यक्ति जब तक पहाड़ी पर चलता जाएगा तब तक दिवार का निर्माण होता रहेगा, जैसे ही वह व्यक्ति रूक जाए उसकी बलि चढ़ा दी जाएगी। संत जब तक पहाड़ी पर चढ़ता गया, तब तक दिवार का निर्माण होता गया और जैसे ही संत रूका उसकी बलि चढ़ा दी गई और दिवार का निर्माण रोक दिया गया।
मुगल सेना भी नहीं हिला पाई यह दिवार
कुम्भलगढ़ किले के अंदर आपको मुख्य इमारतें, शिव मंदिर, मम्मदेव मंदिर, वेदी मंदिर देखने को मिलेंगे। इस किले में करीब 360 मंदिर है, जिसमें 300 जैन मंदिर शामिल है और बाकि हिंदू मंदिर है। इस किले की खास बात यह है कि इस किले को किसी भी युध्द में या किसी राजा द्वारा नहीं जीता गया है। यहां तक कि एक बार अकबर की सेना ने इस किले को धोखे से पकड़ लिया था, लेकिन फिर भी वे लोग इसपर कब्जा नहीं कर पाए थे।