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valentine day 2025: मजार भारत और पाकिस्तान के सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित है, इस मजार के बारे में ऐसा कहा जाता है की लैला मजनू अपने जीवन के अंतिम पल यही गुजारे थे। प्रेम की खातिर अपने प्राण ही त्याग दिए थे। उनकी याद में ही मजार बनाई गई।

Laila Majnu ki mazar : दुनिया भर में 14 फरवरी के दिन यानी वैलेंटाइन डे को प्रेमी जोड़े त्योहार के रूप में मनाते हैं। प्रेमी जोड़े अपने प्रेम को एक दूसरे से इजहार करते है, लेकिन क्या आपको पता है राजस्थान में एक ऐसा मजार है जहां मोहब्बत का मेला लगता है। सदियों ने राजस्थान के धरती पर लैला मजनू की प्रेम कहानियां गूंजती रहीं है।

14 फरवरी देते है प्रेम की मिसाल

14 फरवरी को जहां पूरी दुनिया में प्रेम का जश्न मनाया जाता है। लेकिन राजस्थान के श्रीनगर जिले की एक ऐसी जगह है जिसको प्रेम का मिसाल दिया जाता है। यह जगह लैला मजनू की मजार के नाम से प्रसिद्ध है। जिसको प्रेमी जोड़ों का तीर्थ स्थल भी कहा जाता है। यह मजार भारत और पाकिस्तान के सीमा के बीच स्थित है। आईए जानते हैं कि इस मोहब्बत के मजार के बारे में जो प्रेम की प्रतीक बन गई है। 

मोहब्बत का मजार का स्थान

राजस्थान की श्रीनगर जिले के बिजनौर तहसील स्थित बिजौंर गांव में लैला मजनू की मजार है। मजार भारत और पाकिस्तान के सीमा से कुछ ही दूरी पर स्थित है। ऐसा कहा जाता है की लैला मजनू अपने जीवन के अंतिम पल यही गुजारे थे। प्रेम की खातिर अपने प्राण ही त्याग दिए थे। उनकी याद में ही मजार बनाई गई । जहां प्रेमी जोड़े अपने प्यार के लिए मन्नत मांगने जाते हैं। 

 मोहब्बत का मेला

हर साल 15 जून को मजार पर मेला का आयोजन किया जाता है। जहां हजारों की संख्या में प्रेमी जोड़े अपनी मुराद लेकर आते है। पहले मेले का आयोजन केवल एक दिन के लिए होता था लेकिन प्रेमी जोड़ों की भीड़ देखकर अभी से 5 दिनों के लिए मनाया जाने लगा। ऐसी मान्यता है कि यहां जो भी माथा टेकता है उसे उसका प्यार जरूर मिलता है।

 मजार को लेकर लोगों की आस्था

आपको जानकर हैरानी होगी कि हर साल घग्गर नदी के बाढ़ का पानी इन क्षेत्र में पहुंच जाता है, लेकिन बाढ़ का पानी आज तक मजार तक नहीं पहुंच पाया। इस कारण भी लोगों की आस्था मजार के प्रति बढ़ी। प्रेमी जोड़े हर साल आकर यहां मत्था टेकते और मन्नत मांगते।

1952 से स्थित है मजार

श्रीनगर जिले के बिजनौर तहसील स्थित बिजौंर गांव में लैला मजनू की मजार 1952 से है। मजार में दो समाधिया निर्मित है, जिसमें पूर्व की ओर बड़ी समाधि मजनू की और पश्चिम की ओर छोटी समाधि लैला की है। जिसे जल्द ही पर्यटन के रूप में विकसित किया जाएगा इसके लिए सरकार भी प्रयासरत है।

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