Meera Bai Statue: मेड़ता शहर भगवान श्री कृष्ण की भक्त मीरा बाई की जन्मभूमि है। यहां हजारों भक्त मीरा बाई के जीवन के बारें में जानने के लिए आते है। यहां मीरा बाई का एक भव्य मंदिर बना हुआ है, जिसमें भगवान चारभुजा नाथ की प्रतिमा स्थित है। इस मूर्ति से केवल 100 फीट की दूरी पर ही मीरा बाई की प्राचीन मूर्ति स्थापित की गई है। माना जाता है कि सुबह 5 बजे ही चारभुजा नाथ के मंदिर के द्वार खोल दिए जाते हैं, जिसके बाद मीरा बाई की यह मूर्ति अपने भगवान के दर्शन करती है। इस अनोखी वास्तुकला को देखने के लिए पर्यटक विदेशों से यहां आते हैं।
मूर्ति का इतिहास
मंदिर के पुजारी ने जानकारी दी कि इस मूर्ति को स्थापित करने का विचार मेड़ता के तहसीलदार मुकंद दास तापड़िया ने दिया था। डीडवाना के राजा भामाशाह मगनीराम बांगड़ को मूर्ति बनवाने के लिए चिट्ठी लिखी गई थी। इसके बाद सबकी राजी से इस मूर्ति को बनवाने के लिए जयपुर के मशहूर मूर्तिकार मालीराम गौड़ को बुलाया गया और उनको इस काम को करने का जिम्मा सौंपा गया। जिसके 6 महीने बाद मूर्ति बनकर तैयार हुई और काशी के पंडितों द्वारा मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा और पूजन कराया गया था।
6 माह बिना अन्न खाए बनाई थी यह मूर्ति
जानकारी के मुताबिक जैसे ही मूर्तिकार मालीराम गौड़ ने मूर्ति बनाने से पहले मेड़ता पहुंचकर भक्ति शिरोमणि मीरा बाई के जीवन के बारे कई जानकारी इक्ठा की और उनके जीवन शैली के बारें में पता किया। कहा जाता है कि जानकारी लेते ही मूर्तिकार ने प्रतिमा को आकार देना शुरू कर दिया था। खास बात यह है कि मालीराम गौड़ ने यह ऐलान किया था कि यह मूर्ति उनके जीवन की आखिरी मूर्ति होगी और वे इस काम को बिना अन्न खाए पूरा करेंगे। जिसके बाद केवल दूध पिए मूर्तिकार ने 6 महीने बिना खाए यह कार्य पूरा किया था।