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Arvind singh mewar: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य अरविंद सिंह मेवाड़ का रविवार सुबह उदयपुर में निधन हो गया। वे 81 वर्ष की उम्र के थे और काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। अरविंद सिंह मेवाड़ एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर थे।

Arvind singh mewar: मेवाड़ के पूर्व राजपरिवार के सदस्य और महाराणा प्रताप के वंशज अरविंद सिंह मेवाड़ का 81 वर्ष की उम्र में रविवार सुबह उदयपुर में निधन हो गया। अरविंद सिंह मेवाड़ काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे और उदयपुर स्थित उनके आवास पर ही उनका इलाज चल रहा था। उनके बड़े महेंद्र सिंह मेवाड़ का पिछले साल नवंबर में ही निधन हो गया था। बता दें कि वे भगवंत सिंह मेवाड़ और सुशीला कुमारी के पुत्र थे।
 
अरविंद सिंह मेवाड़ की जीवन कथा
अरविंद सिंह मेवाड़ घराने के 76वें संरक्षक और वे महाराणा प्रताप के वंशज थे। उनके पिता भगवत सिंह ने साल 1955 से 1984 तक मेवाड़ घराने की कमान संभाली थी। अरविंद ने अपनी शुरुआती पढ़ाई अजमेर के मेयो कॉलेज से पूरी की और इसके बाद उन्होंने उदयपुर से अपने ग्रेजुएशन की पढ़ाई की और मैनेजमेंट की डिग्री लेने के लिए यूके चले गए। यहां उन्होंने पढ़ाई पूरी होने के बाद कई होटल्स में भी काम किया। यूएस में ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने एक होटल की रसोई में भी कई दिनों तक काम किया था। इसके बाद वे इस होटल में सेल्स और मार्केटिंग एग्जीक्यूटिव के पद पर भी रहे। इसके बाद वे भारत लौट कर आए और अपने परिवार के होटल बिजनेस को संभाला। 

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कच्छ की राजकुमारी से की शादी
अरविंद सिंह मेवाड़ की शादी कच्छ की राजकुमारी विजयाराज के साथ हुई थी। उनके एक बेटे लक्ष्यराज सिंह और एक बेटी पद्मजा है। उनके पिता द्वारा बनाया गया संगठन एचआरएच ग्रुप ऑफ होटल्स के वो मैनेजिंग डायरेक्टर थे। उदयपुर के हेरिटेज को दुनियाभर में प्रमोट करने के लिए उन्होंने वर्ल्ड लिविंग हेरिटेज फेस्टिवल का आयोजन भी कराया था। हर वर्ष यह कार्यक्रम 19 से 21 मार्च तक आयोजित किया जाता है। होली के अवसर पर इस फेस्टिवल में वाली देश विदेश की कई संस्थाएं शामिल होती।

लग्जरी गाड़ियों का था शौक
अरविंद सिंह लग्जरी कारों के शौकीन थे। बता दें कि उनके पास कई रोल्स रॉयस गाड़ियां थी। ये सभी गाडियां मेवाड़ के राजाओं की निशानी मानी जाती है। उनके पास एमजी टीसी, 1939 कैडिलेक कन्वर्टेबल और मर्सिडीज के कई मॉडल्स थे। कहा जाता है कि इनमें से कई गाड़ियों तो खास तौर पर मेवाड़ के राजाओं के लिए डिजाइन की गई थी।

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