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Panna Dhai: राणा उदय सिंह को बचाने के लिए पन्ना धाय ने अपने बेटे की कुर्बानी दे दी थी। वे मेवाड़ राजवंश के कुल को बचाने के लिए राणा को लेकर दर-दर भटकी थीं। जब राणा उदय सिंह बड़े हुए, तो उन्होंने अपने सिंहासन को पाने के लिए युद्ध किया।

Panna Dhai: राजस्थान के चित्तौड़गढ़ के गांव माताजी की पंडालो में जन्मीं पन्ना धाय अपने बलिदान को लेकर आज भी याद की जाती हैं। उनका जन्म 8 मार्च 1490 को गुर्जर समुदाय में हुआ था। पन्ना धाय ने मेवाड़ के राणा उदय सिंह की जान बचाने के लिए अपने बेटे की कुर्बानी दे दी थी। एक समय था जब चितौड़गढ़ के किले में आंतरिक साजिश चल रही थी। उस समय राणा उदय सिंह बहुत छोटे थे। उदय सिंह के चचेरे चाचा बनवीर ने साजिश रचकर महाराजा विक्रमादित्य सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद वो राणा उदय सिंह को जान से मारना चाहता था। पन्ना धाय को इस बारे में पता चला, तो उन्होंने उदय सिंह को टोकरी में रखकर महल से बाहर ले गईं और अपने बेटे को उदय सिंह के पलंग पर सुला दिया।

पन्ना धाय ने बचाया मेवाड़ का राजवंश कुल

बनवीर महल में आया और उने पन्ना से उदय सिंह के बारे में पूछा, तो पन्ना ने अपने बेटे की तरफ इशारा कर दिया। बनवीर ने उदय सिंह समझकर पन्ना के बेटे की हत्या कर दी और वहां से चला गया। इसके बाद पन्ना धाय ने उदय सिंह को सुरक्षित जगह पर पहुंचाकर मेवाड़ राजवंश के कुल को बचाया। व उदय सिंह को लेकर इधर-उधर भटकती रहीं। बाद में उन्हें कुंभलगढ़ में शरण मिली। राणा उदय सिंह किलेदार का भांजा बनकर वहीं बड़ा होने लगा। जब उदय 13 साल के हुए, तो मेवाड़ी उमरावों ने उन्हें अपना राजा स्वींकार कर लिया और साथ ही उनका राज्याभिषेक कर दिया। 

चाचा को हराकर बने महाराणा

इसके बाद साल 1542 में उदय सिंह मेवाड़ के वैधानिक राजा बने और उन्होंने अपने चचेरे चाचा बनवीर सिंह को युद्ध में हरा दिया। इसके बाद वे मेवाड़ के महाराणा बने। बता दें कि महाराणा प्रताप, जिनकी गाथाएं आज भी बच्चे-बच्चे की जुबान पर होता है, वो महाराणा उदय सिंह के बड़े बेटे थे। बता दें कि महाराणा उदय सिंह का जन्म साल 1522 में हुआ था।

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