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Shekhawati Haveli Story: राजस्थान में राजा-महाराजाओं का राज रहा है। राजस्थान के मारवाड़ी काफी अमीर होते हैं। इतिहास में एक ऐसे ही मारवाड़ी सेठ थे, जो करोड़ों की अपनी हवेली छोड़कर विदेश चले गए थे।

Shekhawati Haveli Story: राजस्थान का चूरू, झुंझुनू और शिखर वाला क्षेत्र शेखावाटी कहलाता है। शेखावाटी में बनी खूबसूरत हवेलियां पुराने दिनों की याद दिलाती है। शेखावाटी रंगीन राजस्थान का प्रमुख पर्यटकों का आकर्षण केंद्र है। शेखावाटी की हवेलियां राजस्थान का प्रमुख पर्यटन स्थल है। आज शेखावाटी की कुछ हवेलियों को संग्रहालय बना दिया गया है। कुछ को हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है। राजस्थान के शेखावाटी इलाके की शानदार हवेलियों  की रौनक कभी देखने लायक थी। लेकिन आज यह वीरान पड़ी हुई है।

काफी वर्षों पहले इन हवेलियों के वारिस परदेश चले गए और वापस लौट के नहीं आए। अंग्रेजों के आने से जीवन जीने और संपत्ति की बेहतर सुविधा मिली। यूरोप से तकनीकी प्रगति में बढ़ोतरी हुई और समुद्री मार्गों के माध्यम से वैश्विक स्तर पर व्यापार की शुरुआत हुई। नए व्यापारिक अवसरों की तलाश में शेखावाटी क्षेत्र के जैन और मारवाड़ी लोग बाहर निकल गए। इनके हवेलियों के मालिक अन्य शहरों में या विदेशों में जाकर बस चुके हैं, तथा उनके लिए यह कोई बड़ी प्रॉपर्टी नहीं रही है।

शेखावाटी राव शेखा के द्वारा बसाया गया

एक बार शेख बुरहान, जो तैमूर लंग के साथ भारत आए थे l तैमूर तो लूटपाट करके भारत से वापस चला गया। बुरहान इस्लाम के प्रचार के लिए भारत में ही रुक गया। बुरहान ने ठाकुर मुकुल सिंह को देखा और देखते ही समझ गया कि यह दुखी होकर आया है। बुरहान ने मुकुल सिंह से दुखी होने का कारण पूछा तो उसने बताया कि मेरी 50 साल की उम्र होने के बावजूद मेरा कोई बेटा नहीं है। इसलिए मैं अपना सब कुछ छोड़कर वृंदावन आ गया हूं। ऐसा सुनकर शेख ने कहा कि आप वापस चले जाइए, मैं आपको दुआ देता हूं कि आपको बेटा होगा।

मगर मेरी यह शर्त है कि बेटा पैदा होते ही आप उसको गाय के खून से नहला देना। मुकुल सिंह हिंदू था। वह ऐसा नहीं कर सकता था। हालांकि, वह शेख की बातों का भरोसा करके अपने घर वापस लौट आया। कुछ दिन बाद शेख की दुआओं से मुकुल सिंह के बेटा हुआ। अब बारी थी शेख की शर्त पूरा करने की। मुकुल सिंह ने गाय के खून की जगह अपने बेटे को बकरे की खून से नहलाया और उसका नाम राव शेखा रखा। वही राव शेखा जिसने शेखावाटी बसाया। अजमेर को हराकर शेखावाटी को एक आजाद रियासत के रूप में स्थापित किया। यह वही राव शेखा है जिसकी शेखावाटी में सिल्क रोड और शानदार हवेलियां बनी है।

दुनिया को शेखावाटी हवेलियों का कैसे पता चला

बिरला, पोद्दार, गोयनका, बजाज, दलमीया, मोरारका जाने माने बिजनेस टाइकून शेखावाटी से ही निकले और अपने पीछे छोड़ गए बेमिसाल हवेलियां। ये हवेलियां शेखावाटी को दुनिया की सबसे बड़ी ओपन एयर आर्ट गैलरी बनाती है। शेखावाटी में ढाई हजार से ज्यादा फ्रेंसिको हवेलियां है। इन हवेलियां के बारे मे तब पता चला जब The Painted of Shekhawati नाम से एक किताब पब्लिश हुई।

इस बुक को नीमराना होटक के मालिक अमरनाथ ने अपने दोस्त फ्रांसिस के साथ लिखा था। अमरनाथ की वजह से लोगों को शेखावाटी के बारे में पता चला। इन्हीं के कारण शेखानाटी तक टूरिस्ट पहुंचे। शिखर मंडावा और नवलगढ़ की वीरान पड़ी हवेलियो के ताले फिर खुल गये। कुछ हवेलियां म्यूजियम में बदल गई। कुछ हवेलियो की मरम्मत चालू है। पोद्दार हवेली संग्रहालय शहर की पूर्वी हिस्से में स्थित है। इस हवेली को 1920 में बनाया गया था। यह  शेखावाटी की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी हवेलियों में से एक हैं। शेखावाटी क्षेत्र में माता करणी को पूजा जाता है। यहां के लोग माता करणी को अपनी कुलदेवी मानते हैं। माता करणी अपने रहस्यमई चमत्कारों के लिए जानी जाती है।

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