Rajasthan Famous Places Must Visit : राजस्थान की कुछ प्रसिद्ध और रोचक जगहों के नाम, जो आज राजस्थान संस्कृति और धरोहर की प्रतिक मानी जाती है, जिनकी खूबसूरती की वजह से देश-विदेश से लोग राजस्थान की ओर आकर्षित होते हैं। इन जगहों का अपना एक इतिहास हैं, जो इसको ओर ज्यादा रोचक बनाता हैं।
राजस्थान का खजुराहो किराडू
बाड़मेर जिले का किराडू, जिसे राजस्थान का खजुराहो भी कहते हैं। मंदिरों की शिल्प कला के लिए विख्यात किराडू राजस्थान के बाड़मेर जिले में स्थित है यहां के मंदिरों का निर्माण 11वीं शताब्दी में किया गया था। खजुराहो का दर्जा पाने के बाद यह जगह पिछले 900 सालों से विरान वीरान पड़ी हुई है। दिन में तो यहां लोगों की खूब चहल-पहल होती है, लेकिन सूर्यास्त होते ही यहां आपको कोई नहीं दिखाई देता है। मान्यता है कि सूर्यास्त होते ही यह जगह वीरान हो जाती है, जो कोई भी सूर्यास्त के बाद यहां रुक जाता है वह पत्थर के रूप में तब्दील हो जाता है।
दुनिया की सबसे बड़ी जयबाण तोप
यह विश्व की सबसे बड़ी तोप ,जो जयपुर की शान और मान है। यह तोप जयपुर के जयगढ़ किले में स्थित है और राजस्थान के इतिहास की अमूल्य धरोहर है। जयबाण तोप की मारक क्षमता लगभग 22 मील के आसपास है।
राजस्थान के जैसलमेर का भयभीत कुलधरा गांव
यह गांव जैसलमेर से केवल 18 किलोमीटर दूर स्थित है। यह एक ऐसा गांव है जहां रात के अंधेरे में कोई भी जाना पसंद नहीं करता, क्योंकि इस जगह हर पल ऐसा महसूस होता है कि किसी की छाया मौजूद है। इस गांव में अंधेरा होते ही चूड़ियां की खनकने आवाज़ सुनाई देती है। छमछम करती हुई पायलों की आवाज़ हमेशा गांव के वतावरण को भयभीत रखती हैं। यह कुलधरा गांव लोगों के श्राप के कारण आज भी वीरान पड़ा है।
राजस्थान के पुष्कर का ब्रह्मा मंदिर
दुनिया भर में विख्यात जगत पिता और सृष्टि की रचयिता ब्रह्मा का एकमात्र मंदिर राजस्थान के पुष्कर में स्थित है। ऐसा माना जाता है कि मुगल शासक औरंगजेब के शासनकालमें अनेक हिंदू मंदिरों को ध्वस्त किया गया था। ब्रह्मा जी का यह एकमात्र मंदिर ऐसा था जिसे औरंगजेब छू तक नहीं पाया था। इस मंदिर का निर्माण 14 वीं शताब्दी में किया गया था। मंदिर के साथ ही यहां पर एक सुंदर और पवित्र झील है, जिसे पुष्कर झील के नाम से जाना जाता है।
राजस्थान के अलवर का भानगढ़ किला
देशविदेश में भूतों के बसेरे के नाम से प्रसिद्ध भानगढ़ का प्रेतग्रस्त किला अलवर जिले में स्थित है। यह किला जयपुर से 80 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके किले के बारे में कई कहानियां इतिहास में मौजूद है बताया जाता है, बताया जाता है कि यह किला रातों-रात में खंडहर में तब्दील हो गया था। ऐसा कहा जाता है कि रात के समय यहां भूतों का बाजार लगता है। सूर्यास्त के बाद यहां लोगों को रुकने नहीं दिया जाता।
भाटी शासको की कुलदेवी तनोट देवी का मंदिर
यह मंदिर जैसलमेर से लगभग 120 किलोमीटर दूर स्थित है। तनोट देवी जैसलमेर की भूतपूर्व भाटी शासको की कुलदेवी मानी जाती है। वर्तमान में इस मंदिर में सेना तथा सीमा सुरक्षा बल के जवान पूजा करते हैं। यह मंदिर जैसलमेर की सेना के जवानों के रूप मेंविख्यात है। इन माता को थार की वैष्णो देवी भी कहा जाता है। सन 1965 ई में तनोट में देवी मंदिर के सामने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए युद्ध में भारत के विजय का प्रतीक विजय स्तंभ भी स्थापित है।
चूहों की देवी मां करणी का मंदिर
मां करणी देवी का विख्यात मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले से लगभग 30 किलोमीटर दूर जोधपुर रोड पर गांव देशनोक की सीमा पर स्थित है। इस मंदिर को चूहा वाले मंदिर के नाम से भी देश-विदेश में लोग जानते हैं। ऐसा माना जाता है कि यहां पर आए किसी भी श्रद्धालु को यदि सफेद चूहे के दर्शन होते हैं तो वह बहुत ही शुभ होता है।
लैला मजनू की मजार
प्रेम तथा धार्मिक आस्था की प्रतीक लैला मजनू की मजार राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले की अनूपगढ़ तहसील में भारत-पाकिस्तान की सीमा पर बिजनौर गांव में स्थित है। लैला मजनू का यह अंतिम स्मारक पाकिस्तान से केवल 2 किलोमीटर दूर है, इस मजार के बारे में ऐसा कहा जाता है की लैला मजनू ने अपने प्यार में सफल होने पर यहीं पर अपनी जान दे दी थी। उनका मानना था कि वो इस जीवन में तो साथ नहीं रह सकते, लेकिन मर तो एक साथ सकते हैं। इस मजार पर हिंदू और मुस्लिम श्रद्धालु सिर झुकाते हैं।
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