First Train In Rajasthan: राजस्थान में पहली बार रेल का सफल दौसा जिले के बांदीकुई से शुरू हुआ था। प्रदेश को ट्रैन की सौगात साल 1874 में मिली थी। यह ट्रेन बांदीकुी से आगरा तक संचालित की गई थी। सबसे पहले भांप के इंजन वाली ट्रेन चलाई गई थी, जिसके बाद डी़जल इंजन वाली रेल की शुरूआत हुई। आज की बात करें तो इस स्टेशन पर हाईटेक वाली रेलगाडियां संचालित की जा रही हैं। बांदीकुई-आगर रेलमार्ग कई सालों से राजस्थान व यूपी के बड़े-बड़े शहरों को जोडने का कार्य कर रहा है।
अंग्रेजों को पंसद आई थी जगह
बता दें कि 1860 में पहली बार अंग्रेज बांदीकुई पहुंचे थे, जहां उन्हें यह जगह काफी अच्छी लगी थी। जिसके बाद उन्होंने इस स्थान के पानी के सैंपल को जांच के लिए इंग्लैंड भेजा। जांच होने के बाद अंग्रेजों ने यहां रेल विकसित करने का फैसला लिया। इसके बाद सुनियोजित तरीके से यहां 400 से अधिक बीघा जमीन को रेलवे कॉलोनी व ऑफिस बनाने के लिए दी।
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साल 2005 में इस रेलमार्ग को नैरोगज से ब्रॉडगेड में परिवर्तित किया गया था। अब इस रेलमार्ग का विद्युतीकरण करने का कार्य किया जा रहा है। इसके बाद धिरे-धिरे यहां लोको शैड तैयार किए गए, बड़े खेल मैदान बनाए गए, चर्च का निर्माण किया गया, बैडमिंटन कोर्ट समेत अन्य सुविधा दी गई।
ब्रदर्स कैंप्टन सीडी वाइज ने स्थापित की थी रेलवे कॉलोनी
ब्रिटिश काल से बनी इस रेलवे कॉलोनी की स्थापना साल 1892 में ब्रदर्स कैंप्टन सीडी वाइज ने की थी। उस समय गैर सदस्यों के यहां आने पर रोक लगाई गई थी। ब्रदर्स जॉन हार्कनेस को यहां का पहला मास्टर बनाया गया था। वहीं रेलवे स्टेशन के स्कोटिस फ्री मेसोनिक लॉच भवन का निर्माण ब्रदर्स डब्ल्यू क्राफ्टस ने कराया था। शुरूआत में केवल सदस्य ही यूरोपीयन्स हुआ करते थे, आजादी के बाद भारतीयों की इस पद पर नियुक्ति होने लगी। समय के साथ साथ इस स्टेशन पर सुविधा बढ़ती गई और यह लगातार विकसित होता रहा।