Rajasthan Temple: राजस्थान के गोगामेड़ी मंदिर की कहानी आपको भी हैरान कर देगी। यह मंदिर हनुमानगढ़ जिले के गोगमेडी़ गांव में स्थित है। गोगाजी को जाहरवीर गोगा जी के नाम से भी जाना जाता है। इनकी सबसे खास बात यह है कि इनका पूजा हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग करते हैं। यहां राजस्थान के अलावा देश के हर कोने से श्रद्धालु आतें है। आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी कुछ खास बातें।
बता दें की गोगामेड़ी में गोगाजी ने समाधि लिया था। उसी स्थान पर वहां के लोगों द्वारा मंदिर का स्थापना कर पूजा - अर्चना की जाती है। गोगा जी को संपो के देवता के रूप में पूजा जाता है। इस मंदिर के प्रति लोगों की मान्यता बहुत अधिक है। खास कर भारत के उत्तरी राज्यों में राजस्थान , हिमाचल प्रदेश , हरियाणा , उत्तराखंड , पंजाब , उत्तर प्रदेश , जम्मू और गुजरात में पूजें जातें हैं।
गोगामेड़ी में राजस्थान का सबसे बड़ा मेला लगता है, जो श्रवण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक लगता है, जहां लाखों श्रध्दालु आतें है। वहीं इस मंदिर के लिए यह मान्यता है कि यहां कोई भी भक्त सच्चे मन से अपनी मनोकामना मांगता है तो वह अवश्य पूरा होता है।
हिन्दू- मुस्लिम इस मंदिर में क्यों करते हैं पूजा
यहां के लोगों का मानना है कि गोगा जी एक आदर्श व्यक्तित्व के लिए जाने जाते थे। यह मुख्य रूप से सांप के देवता के रूप में पूजे जातें हैं क्योंकि यह सांप के विष से लोगों को मुक्त किया करते थे। गोगाजी की मृत्यु नहीं हुई थीं उन्होंने अपनी समाधि ली थी। हिन्दू धर्म के अनुसार हिन्दूओं के मृत्यु होने पर उसकी दाह संसकार किया जाता है। लेकिन गोगाजी को दफनाया गया था।
इसलिए उनकी पूजा हिन्दू और मुस्लिम दोनों धर्म के लोग करते हैं। वहीं गोगामेड़ी में गोगाजी का मंदिर एक ऊंचे टीले पर मस्जिदनुमा अकार का बना हुआ है, जो यह दर्शाता है कि मुस्लिम का भी है। इस मंदिर में एक हिन्दू पूजारी और एक मुस्लिम पूजारी हमेशा सेवा में खड़े होते हैं। गोगाजी के प्रतिक के रुप में पत्थर या लकड़ी पर सर्प मूर्ती भी बनाई जाती है। इस मंदिर के प्रति ऐसा माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को सांप काटता हो और उसे गोगा जी में लाया जाता है तो वह सांप विष से मुक्त हो जाता है।