Rajasthan History: जब भी राजस्थान की बात होती है, राजपूतों का जिक्र जरूर होता है। लेकिन राजपूत भी सिर्फ एक तरह के नहीं होते हैं, बल्कि राजपूतों के भी कई प्रकार होते हैं, जिनमें से एक प्रकार है चौहान राजपूत।आपको जानकर हैरानी होगी कि चौहानों की भी कई सारी शाखाएं हैं। आइए जानते हैं चौहानों के बारे में विस्तार से।
चौहानों की उत्पत्ति
चौहानों की उत्पत्ति के बारे में इतिहास में कई उल्लेख मिलते हैं। महाकवि चंद्रवरदाई द्वारा रचित "पृथ्वीराज रासो" में चौहानों की उत्पत्ति का उद्गम स्थल माउंट आबू की पर्वतों को बताया गया है। जबकि अजमेर के शिलालेखों के अनुसार चौहानों की उत्पत्ति का सीधा संबंध श्रीराम से है और वे श्रीराम के वंशज हैं। जहां 'पृथ्वीराज रासो' के अनुसार चौहान को अग्नि वंशी राजवंश बताया गया है, वही अजमेर में मिले शिलालेखों के अनुसार चौहान सूर्यवंशी राजपूत हैं।
चौहानों की शाखाएं
अगर बात करें चौहानों की शाखाओं की, तो चौहानों की एक नहीं, बल्कि कई सारी शाखाएं हैं। चौहानों का वंश वृक्ष बहुत बड़ा और जटिल है। इसकी प्रमुख 24 शाखाएं हैं। हालांकि कहीं-कहीं 30 से भी अधिक शाखाओं का जिक्र मिलता है, लेकिन मुख्य रूप से चौहानों की 24 शाखाएं हैं, जो निम्नलिखित हैं:
1. अरनेत चौहान
2. सोनीगरा चौहान
3. सांचौरा चौहान
4. खीची चौहान
5. देवडा चौहान
6. हाडा चौहान
7. निरवाण चौहान
8. सेपटा चौहान
9. पुरबिया चौहान
10. भदौरिया चौहान
11. बाड़ा चौहान
12. चीबा चौहान
13. आभा चौहान
14. बालोत चौहान
15. बागड़िया (बागड़वा) चौहान
16. मोहिल चौहान
17. पवेया चौहान
18. राखससिया चौहान
19. नाडोला चौहान
20. ढढेरिया चौहान
21. सांभरिया चौहान
22. उजपलिया चौहान
23. चोहिल चौहान
24. मदरेचा चौहान
सत्ता की स्थापना
बताया जाता है कि चौहानों की राजधानी सांभर थी और चौहानों के राजा वासुदेव ने हूणों को देश से बाहर निकालने के बाद शाकम्बरी में अपनी सत्ता स्थापित की, जो कि वर्तमान समय में सांभर के नाम से जाना जाता है। शाकम्बरी उनकी कुलदेवी का नाम था, जिसे आज भी चौहानों की एक शाखा नाडोल चौहानों के द्वारा अपनी कुलदेवी के रूप में पूजा जाता है।
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