Rajasthan Jantar Mantar: राजस्थान में एक ऐसी जगह है जहां सैकड़ो साल पहले बिना किसी एडवांस टेक्नोलॉजी के ही ब्रह्मांड के रहस्यों को सुलझाने की कोशिश की जा रही थी। यहां एक या दो नहीं 19 ऐसे यंत्र हैं जो समय मापने से लेकर ग्रहों की स्थिति और ग्रहण की भविष्यवाणी सही करने में सक्षम है। जहां दुनिया का सबसे बड़ा सनटाइल पत्थर मौजूद है। जो समय को 2 सेकंड की सटीकता से माप सकता है। इस अद्भुत स्मारक का निर्माण 11वीं सदी में सवाई जयसिंह द्वितीय ने करवाया था। इस यंत्र का डिजाइन और कारीगरी आज भी लोगों को चौका देती है।
जयपुर का जंतर मंतर है एक खगोलीय वैद्यशाला
जयपुर के जंतर मंतर को खगोलीय वैद्यशाला कहते हैं, जिसका निर्माण सवाई जयसिंह ने करवाया था। सवाई जयसिंह खुद एक विद्वान व्यक्ति थे। इसलिए उन्होंने खगोलीय घटनाओं को समझने, समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने, तारे की गति व स्थिति जानने आदि कार्यों के लिए इस वैद्यशाला के अलावा दिल्ली, उज्जैन, बनारस और मथुरा में भी जंतर मंतर का निर्माण करवाया था। जिनमें से केवल आज तक दिल्ली जयपुर का जंतर मंतर सुरक्षित बना हुआ है। आज भी इन यंत्रों का उपयोग समय मापने, कैलेंडर बनाने आदि कार्यों को सटीकता से जाने में प्रयोग किया जाता है।
इसकी प्रमुख खगोलीय यंत्र में समयंत्र, सम्राट यंत्र, महत्वपूर्ण है। सम्राट यंत्र एक विशाल पत्थर की बनी हुई सूर्य खड़ी है, जो आज भी सटीकता से समय बताती है। समयंत्र का उपयोग ऊंचाई नापने में किया जाता है। जब सवाई जयसिंह ने जंतर मंतर का निर्माण करवाया था, तब उन्होंने कई देशों से पांडुलिपियों को मंगवाया और उनका अध्ययन करने के बाद ही उन्होंने जंतर मंतर का निर्माण करवाया था। यूनेस्को ने 1 अगस्त 2010 को इसे विश्व धरोहर सूची में शामिल किया था, क्योंकि इसका यंत्र आज भी सुरक्षित बना हुआ है।
जंतर मंतर को कहा जाता है सूर्यघड़ी का घर
यह वैद्यशाला केवल विज्ञान ही नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक शक्ति का भी प्रतीक है। जंतर मंतर 19 खगोलीय यंत्रों का संग्रह है। यह दुनिया की सबसे बड़ी पत्थर से बनी हुई सूर्य घड़ी का घर है। इस वजह से जंतर मंतर को सूर्यघड़ी का घर कहा जाता है। यह ऐतिहासिक स्मारक सिटी पैलेस और हवा महल के पास स्थित है। यहां मौजूद यंत्रों के माध्यम से बिना किसी आधुनिक उपकरण के खगोलीय स्थितियों का अवलोकन किया जा सकता है। यह सूर्य घड़ी सही समय मापने का अद्भुत उदाहरण है। जंतर मंतर का मतलब होता है गणना करने वाला यंत्र।
जंतर मंतर का निर्माण क्यों करवाया गया
जयपुर के महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय को खगोल विज्ञान में अत्यधिक रुचि थी। उन्होंने देखा कि खगोलीय पिण्ड़ो की स्थिति का निर्धारण करने के लिए उस समय उपयोग की जाने वाली तालिका में वास्तविक स्थिति और तालिका में दी गई घटनाओं के बीच मेल नहीं है। इस समस्या का हल करने के लिए महाराजा ने 5 वैद्यशालाओं का निर्माण करवाया था।इन वैद्यशालाओं का निर्माण पांच शहरों मे करवाया था। बेहद सम्राट यंत्र जिसका अर्थ है यंत्रों का महान राजा। यह 27 मी ऊंचा है जो इसे दुनिया की सबसे बड़ी धूप घड़ियों में से एक बनता है।
जिसका मुख 27 डिग्री कोंण पर स्थित है, जो जयपुर का अक्षांश है। यह जयपुर के स्थानीय समय से लगभग 2 सेकंड की सटीकता के साथ समय बताने के लिए जाना जाता है। इसकी छाया एक मिलीमीटर प्रति सेकंड की गति से दिखाई देती है। शेष पर मौजूद छोटी छतरी या गुम्बद का उपयोग ग्रहण और मानसून के आगमन की घोषणा के लिए एक मंच के तौर पर किया जाता है। इन यंत्रों का आकार बहुत विशाल है, ताकि उनकी सटीकता बढ़ाई जा सके।
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