rajasthanone Logo
Rajasthan Monalisa Love Story: राजस्थान की एक अनोखी प्रेम कहानी है, राजस्थान की मोनालिसा जो मोहब्बत में 10 साल की आयु में दासी से प्रेमिका बनी। ये प्रेम कथा राजस्थान के संस्कृति को दर्शाती हैं। 

Rajasthan Monalisa Love Story:  राजस्थान जो न केवल योद्धाओं के इतिहास के बारें में जाना जाता है बल्कि यहां के इतिहास के पन्नों में प्रेम की अनोखी कहानियां मौजुद है, जो राजस्थान के  इतिहास को जानने के लिए लोगों को ओर ज्यादा उत्साहित करती हैं। मोहब्बत एक ऐसी चीज है जिसकी कहानियों इतिहास में अपना छाप छोड़ चुकी है। चाहे वो ढोला मारू, लैला मजनू, हीर रांझा या फिर हमारे आराध्य श्री कृष्ण और राधा की प्रेमगाथा मर हो गई।  

राजस्थान की मोनालिसा 

राजस्थान जो जाना ही अपने इतिहास और राजा महाराजों के लिए है, जब बात राजस्थान की मोनालिसा की हो और उसकी प्रेम कहानी का जिक्र ना हो ऐसा कभी नही हो सकता है। तो आज हम राजस्थान की मोनालिसा की अनोखी प्रेम कहानी के बारे में जानतें हैं। राजस्थान की मोनालिसा जो की जोधपुर रियासत का हिस्सा रहे किशनगढ़ के राजा सांवत सिंह की दासी थी।

इसे भी पढ़े:- Rajasthan History: राजस्थान केवल वीरों की धरती नहीं अपितु  वीरागनाओं की भी धरती है, इन वीरांगनाओं के बिना राजस्थान वीरों की धरती नहीं कहलाता

दासी को कहते थे पासवान

राजस्थान की मोनालिसा की प्रेम की कहानी की सिलसिला तब शुरू हा था, जब महाराज संवत सिंह के पिता राज सिंह उस समय किशनगढ़ की शासक थे। राज सिंह ने उस समय दिल्ली से दस साल की दासी को किशनगढ़ लेकर आए थे। उस वक्त महल में जो भी दासी लायी जाती थी उनको पासवान कहा जाता था। 

कम आयु लाते थे दासियां

रियासत के राजा चाहते थे कि उनकी दासियां कम आयु हो, इसके पीछे का कारण ये था लायी गई दासियों शाही महल के तौर तरीको में आसानी से ढाला जा सके और इसी वजह से राज सिंह ने भी बनी ठणी को दासी के रूप में दिल्ली से खरीद कर अपने महल लेकर आए थे। 

बनी ठणी और सांवत की मुलाकात

बनी ठणी जो कि एक दासी थी जिसे खरीद कर लाया गया था, किसी ने कभी सोचा नहीं एक 10 साल की बनी ठणी जिसकी पहचान पासवान के रूप में की जाती थी वो युवराज के इतने करीब आ जाएगे किसको पता था। बनी ठणी को युवराज सांवत सिंह की दासी के रूप में रखा गया था, जिसको राजभवन में साहित्य और गायन में कुशल किया गया ताकि वो युवराज का मनोरंजन कर सकें, क्योकि युवराज सावंत सिंह की रूचि भी साहित्य में थी। जिसकी वजह से ठनी और सावंत सिंह के दिल एक दूसरे से टक्कराएं ओर इनकी मुलाकात प्यार में बदल गया।

सावंत सिंह बने नागरीदास

किशनगढ़ के राजा सावंत सिंह ने ही प्रसिद्ध बनी ठणी का चित्र बनवाया था, जिसे राजस्थान में इसे मोनालिसा के नाम से जाना जाता हैं। इनका प्रेम निश्चल था वासना की कोई भावना नही थी। इनकी प्रेम कहानी का हिस्सा ये भी है कि जब राजा सांवत सिंह वृंदावन गए थे, तब कृष्ण भक्ति के लिए बणी ठणी भी राजा के साथ वृंदावन में रही वहीं कुछ समय बाद सावंत सिंह नागरीदास बन गए थे। राजा के साथ ही बणी ठणी का जीवन भी कृष्ण भक्ति में गुजरी। 

इसे भी पढ़े:- Rani Padmini : वेलेंटाइन डे के पहले जान लें रानी पद्मिनी और रावल रतन सिंह की प्रेम कहानी,, चितौड़गढ़ में किया था जौहर

 

5379487