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राजस्थान में पाली शहर के चोटिला गांव में एक ऐसा मंदिर स्थित है, जहां भगवान की नहीं बल्कि रॉयल एनफील्ड बाइक की पूजा की जाती है। इसके पीछे एक चौंकाने वाला रहस्य छिपा है।

राजस्थान एक ऐसा राज्य है जहां से बढ़कर एक पुरानी ऐतिहासिक मंदिर मौजूद है। वैसे तो मंदिर में आपने देवी देवता की पूजा की होगी या होते हुए देखी होगी, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान की जगह पर रॉयल एनफील्ड बाइक की पूजा की जाती है। यह अनोखा मंदिर जोधपुर और अहमदाबाद को जोड़ने वाली सड़क एनएच 62 पर स्थित है। बुलेट बाबा या ॐ बाबा मंदिर के नाम से भी यह मंदिर प्रदेश में काफी ज्यादा प्रचलित है। राजस्थान में पाली शहर से करीब करीब 200 किलोमीटर दूर चोटिला नामक गांव में यह विराजमान है। 

बुलेट बाबा के नाम से भी मशहूर है यह मंदिर 

इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि जो व्यक्ति यहां से गुजरता है वो इस जगह जरूर आता है और उसके बाद अपनी आगे की यात्रा तय करता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि बुलेट बाबा मंदिर में आने के बाद भक्तों की मनोकामना पूर्ण होती है और सही सलामत लोग अपने घर पहुंच जाते हैं। दर्शन करने के बाद कभी अनहोनी नहीं होती है।

इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें किसी भगवान की मूर्ति नहीं है। मंदिर के भवन के बीच में एक RNJ 7783 नंबर प्लेट की रॉयल एनफील्ड बाइक, जो 350 सीसी की है, वह स्थित है। यह एक आम बाइक नहीं है बल्कि इसके पीछे कई रहस्य छिपे हुए हैं। 

अजीबोगरीब घटना से पुलिस भी रह गई दंग 

इस बाइक के पीछे का रहस्य यह है कि ओम सिंह राठौड़ नाम के एक व्यक्ति ने इसे खरीदा था। एक दिन अचानक सड़क दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई थी। ऐसा कहा जाता है कि वो इसी गाड़ी से कहीं जा रहे थे और अचानक उनका बाइक अनियंत्रित होकर एक पेड़ से टकरा गई। इस हादसे में उनकी मृत्यु हो गई।

इस सड़क दुर्घटना के बाद बाइक को पुलिस ने थाने में लाकर रख दिया, लेकिन अगले दिन वो गायब हो गया। बाद में पता चला कि बाइक दुर्घटना वाले जगह पर ही मौजूद है। फिर से पुलिस थाने लाई, लेकिन फिर अगले दिन हाइवे पर बाइक खड़ी मिली। यह कई दिनों तक लगातार होता रहा। उसके बाद लोगों ने यह तय किया कि बाइक को उसी स्थान पर रखा जाए, जहां ओम सिंह की मौत हुई थी।

भूले-भटके लोगों को मार्ग दिखाती है यह मंदिर 

इस अजीबोगरीब घटना के बाद स्थानीय लोगों ने ओम बन्ना नामक मंदिर की स्थापना की। ऐसा कहा जाता है कि ओम सिंह राठौड़ की आत्मा आज भी उसी हाइवे पर बुलेट चलाती है और असहाय लोगों की मदद करती है। आसपास के लोगों का यह मानना है कि इस मंदिर के निर्माण के बाद सड़क दुर्घटना के मामलों में भी कमी आई है। 

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