Shakumbhari Mata Mandir: राजस्थान देश का एक ऐसा राज्य है, जहां मंदिरों की कमी नहीं है। यहां कई बड़े बड़े चमत्कारी और ऐतिहासिक मंदिर भरे हुए हैं। उन्हीं में से आज हम राजधानी जयपुर से लगभग 90 किलोमीटर दूर सांभर झील में स्थित शाकंभरी मंदिर के बारे जानेंगे। सालों भर यहां श्रद्धालु पूजा करने के लिए आते हैं। खासकर इस मंदिर में नवरात्रि के अवसर पर भारी भीड़ देखने को मिलता है। ऐसा माना जाता है यहां देवी पहाड़ से बाहर निकली थीं। उनके ही आशीर्वाद के कारण सांभर झील का निर्माण हुआ है।
चौहान वंश के राजा को मिला था देवी का आशीर्वाद
यहां के इतिहास को लेकर स्थानीय लोगों का यह मानना है कि छठी शताब्दी के समय में चौहान वंश के राजा वासुदेव की भक्ति से काफी ज्यादा खुश हुई थीं और उन्हें मनमुताबिक वरदान मांगने का ऑफर दिया था। ऐसे में उन्होंने माता से धन का भंडार ही आशीर्वाद के रूप में मांगा। वासुदेव को देवी ने कहा कि आप अपने घोड़े को जीतने दूर तक दौड़ाएंगे, उतने दूर तक चांदी की खान बन जाएगी। इसके साथ ही एक शर्त ये भी थी कि राजा को इस दौरान पीछे मुड़कर नहीं देखना था। राजा ने जैसे ही घोड़े को दौड़ाना शुरू किया वैसे ही पूरा इलाका चांदी की खान बन गई। लेकिन, राजा ने पीछे मुड़कर देखा और सब खत्म हो गया।
नमक की झील में तब्दील हो गई चांदी की खान
इस बात का जिक्र जब राजा वासुदेव की माता को हुआ, तो उन्होंने राजा को बताया कि इतनी संपति के लिए लोग आपस में भीड़ जाएंगे और चारों ओर त्राहिमाम मच जाएगी। माता की बातों में आकर राजा ने वापस माता शाकंभीर से यह बात बताई और पूरा इलाका चांदी के बजाय नमक के ढेर में तब्दील करने को कहा। माता के कृपा से पूरा इलाका नमक के ढेर में तब्दील हो गया और उसी समय से यह सांभर झील बन गया। चांदी से नमक में परिवर्तन होने के कारण नमक को कच्ची चांदी भी कहते हैं।
माता को चढ़ाया जाता है हरि सब्जियां और फल
माता के मंदिर में सब्जी का भोग लगाया जाता है। उन्हें वनस्पति और प्रकृति की देवी भी लोग मानते हैं और उनकी पूजा करते हैं। जो भक्त यहां आते हैं, वो मावे, नारियल, मिठाई और हरि फल और सब्जियां लेकर आते हैं।