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Punjab of Rajasthan: राजस्थान में सांचौर नाम का एक जिला है, जिसे प्रदेश का पंजाब कहा जाता है। इस जिले का ऐतिहासिक नाम सत्यपुर है, जहां मालवा के राजा ने आक्रमण किया था।

Punjab of Rajasthan: भारत के राजस्थान के सांचौर तहसील को राजस्थान का पंजाब कहा जाता है। सांचौर तहसील को अगस्त 2023 में राजस्थान का जिला घोषित कर दिया गया था। राजस्थान में भाजपा की सरकार आने के बाद सांचौर जिले की मान्यता को रद्द कर दिया गया है। दोबारा से सांचौर एक तहसील है। सांचौर तहसील की धरती पंजाब की धरती की तरह ही उपजाऊ है।

सांचौर में है लोहे व पानी के RO का बड़ा प्लांट  

इस धरती पर धान की खेती प्रचुर मात्रा में होती थी। लेकिन सांचौर में आज पानी की कमी होने के कारण वर्तमान में खेती अच्छे से नही हो पा रही। यहां पर लोग ज्यातर कृषि का कार्य करते हैं। सांचौर में रीको एरिया मखपुरा में बड़े-बड़े स्टील, लोहे व पानी के RO प्लांट  है। सांचौर में बिश्नोई समाज के लोग बहुत बड़ी संख्या में निवास करते हैं।

इस समाज के लोग पेड़ पौधों और जीवो की रक्षा के लिए हमेशा आगे रहते हैं। बिश्नोई समाज के लोगों ने सांचौर के अलग-अलग क्षेत्र में हिरणों की रक्षा के लिए कई बार आंदोलन भी किया है। सांचौर का प्राचीन नाम सत्यपुर हुआ करता था। मालवा के राजा ने  एक बार सत्यपुर पर आक्रमण कर दिया था किंतु उसकी सेना को ब्रह्म शांति नामक यक्ष ने परास्त कर दिया था। इस तरह सत्यपुर की रक्षा हुई थी। 

जैन तीर्थंकर महावीर जी का प्राचीन मंदिर भी स्थित

प्राचीन समय में सांचौर के लाछड़ी में एक कुआं हुआ करता था, जिस कुआं से जोधपुर के महाराजा जसवंत सिंह के समय में पूरे सांचौर क्षेत्र को मीठा पानी सप्लाई किया जाता था। सांचौर पहले जोधपुर संभाग में आता था किंतु नए संभाग और जिले बनने के बाद यह पाली संभाग के अंतर्गत आता है। सांचौर में चार उपखंड और चार तहसील हैं। सांचौर में लगभग 459 गांव है। जैनियों के 24 में जैन तीर्थंकर महावीर जी का प्राचीन मंदिर सांचौर जिले में स्थित है। N-15 सड़क सांचौर जिले से गुजरती है, जो वर्तमान समय में सांचौर पाली संभाग के अंतर्गत आता है।

सांचौर जिले के मंदिर और मेले

सांचौर जिले में एक हनुमान जी का मंदिर है। यहां एक डिब्बा वाली माता का मंदिर भी है। यहां एक सुप्रसिद्ध श्री नकलंग देव जी का भी मंदिर है । यहां पर बाबा रघुनाथ पुरी मेला माखपुरा बहुत प्रसिद्ध है। इस मेले में लोग पूरे राजस्थान से ऊंट, घोड़े आदि बेचने और खरीदने आते हैं। यह मेला प्रतिवर्ष चैत्र महीने में लगता है। सांचौर सरवाना गांव में निबड़िया तलाब सांचौर का सबसे बड़ा तालाब है। 

राजपूतों का सबसे बड़ा ठिकाना 

ऐसा माना गया है कि सरवाना गांव का नाम परमार राजा चंदन के बेटे सायर के नाम पर रखा गया था। सरवाना गांव राजपूतों का सबसे बड़ा ठिकाना हुआ करता था। यहां रामदेव जी का मंदिर माणोहर में स्थित है। मेगावा  में गुरु जंभेश्वर भगवान का बहुत बड़ा मंदिर स्थित है। सांचौर एक पेट्रोलियम संभावित क्षेत्र है। यहां पर ग्रेनाइट, कोयला, चीनी मिट्टी आदि खनिज के रूप में पाए जाते हैं।

सांचौर में लूणी, जवाई व सागी  नदी बहती हैं। नर्मदा नहर सांचौर  के सीलू गांव से प्रवेश करती है। इस नहर पर सीलू गांव में नर्मदेश्वर घाट बनाया गया है, जिसे पश्चिमी राजस्थान का छोटा हरिद्वार भी कहां जाता है। इसका उपनाम सरदार सरोवर परियोजना एवं मारवाड़ की जीवन रेखा है। जहां से नर्मदा नदी गुजरती है वह राजस्थान में नर्मदा का प्रवेश द्वार है। यह प्रवेश द्वार सांचौर से 18 किलोमीटर दूर एक सीलू गांव से होता है।

सांचौर जिले की मुख्य फसलें

नर्मदा नदी इस क्षेत्र में सिंचाई एवं पेयजल की पूर्ति करती है। यह राजस्थान राज्य की एकमात्र नहर है जिस पर संपूर्ण सिंचाई फव्वारा पद्धति से की जाती है। इस क्षेत्र में कुछ फसलों की पैदावारी बहुत बड़ी मात्रा में होती हैं। यह इसबगोल, जीरा, बाजार, सरसों, मूंगफली, अरंडी, गेहूं आदि फसलों की पैदावारी की जाती है। 

सांचौर क्षेत्र से जीरा  सबसे बड़ी ऊंजा मंडी में जाता है। ये ऊंजा मंडी एशिया का सबसे बड़ा मसाला बाजार है। इस क्षेत्र की मिट्टी में फास्फेट एवं नाइट्रेट उर्वरक की मात्रा अधिक पाई जाती है जो की फसलों के लिए बहुत लाभदायक होती है। सांचौर के कई बड़े-बड़े उद्योगपति भारत के बड़े-बड़े शहरों से लेकर विदेश तक अपना कारोबार जमाये हुये  है। इस तरह राजस्थान का पंजाब सांचौर  अपने आप में बहुत खास है।

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