Rajasthan History: बागियों की धरती के रूप में अगर कोई धरती मशहूर हुई, तो उसमें चंबल के बीहड़ों का नाम सबसे पहले लिया जाता है। यह वह धरती थी जिसने बगावत की एक ऐसी जंग छेड़ी की सियासत के हाथ पर बंधे रह गए। चंबल के यह बीहड़ मध्य प्रदेश राज्य के साथ-साथ राजस्थान के धौलपुर और भरतपुर क्षेत्र में भी फैले हुए थे। चंबल के इतिहास की कहानी आज की नहीं है बल्कि इसकी तो बहुत पुरानी गाथा है।
डाकुओं का था गढ़
चंबल के बीहड़ों को डाकुओं का गढ़ माना जाता था। लो इन रास्तों से गुजरने से भी डरते थे। जो लोग चंबल के लिए इन बीहड़ों से होकर गुजरते थे और बचकर निकल जाते थे, उन्हें खुशनसीब माना जाता था। चंबल नदी के किनारे पहले घने जंगल ऊबड़ खाबड़ जमीन और कंटीली झाड़ियां एक समय तक अपने डाकुओं के लिए प्रसिद्ध था।
हालांकि फिल्मों में चंबल के बीहड़ों का जिस प्रकार से चित्रण किया गया है चंबल का इतिहास सिर्फ उतना ही नहीं है, बल्कि यह स्थान ब्रिज और बुंदेली संस्कृति का प्रतीक है। यहां बटेश्वर जैसी ऐतिहासिक धरोहरें भी हैं जो चंबल से डाकुओं के सफाई के बाद धीरे-धीरे पर्यटन के क्षेत्र के रूप में उभर कर सामने आ रही है।
अगर बात करें चंबल के प्रसिद्ध डाकुओं की तो सबसे प्रसिद्ध पांच डाकुओं के नाम निम्नांकित हैं-
पान सिंह तोमर:
पान सिंह तोमर भारतीय सेना का एक जवान और एथलीट हुआ करता था। लेकिन सेवानिवृत होने के बाद किन्हीं करणों से वह डकैत बन गया और चंबल के जंगलों में उसने अपने नाम की दहशत फैला दी थी। बाद में वह पुलिस के मुठभेड़ में मर गया।
डाकू मानसिंह
डाकू मानसिंह को चंबल का इतिहास के सबसे कुख्यात डाकू के रूप में जाना जाता है। वह 1935 से लेकर 1955 के तक चंबल के बिहार में राज किया करता था। उसने 20 सालों में 1000 से भी ज्यादा डकैतियों को अंजाम दिया था।
डाकू मोहर सिंह
इस बात में कोई शक नहीं है कि डाकू मोहर सिंह के नाम से चंबल की धरती कांपा करती थी। उसके ऊपर 85 से ऊपर हत्याओं के मामले दर्ज थे और 1960 के दशक में चंबल के सबसे खूंखार डाकू के रूप में प्रसिद्ध था।
डाकू लोकमन
चंबल के डाकुओं की फेहरिस्त में डाकू लोकमन का नाम भी सबसे कुख्यात डाकूओं में आता है। 1955 से 60 के समय में उसने लोगों के बीच अपने नाम का आतंक फैलाया हुआ था। बताया जाता है कि बाद में वह सारे बुरे काम छोड़कर धार्मिक प्रवृत्ति का इंसान हो गया था।
फूलन देवी
फूलन देवी चंबल के इतिहास की सबसे चर्चित डाकू में से एक रही। जिसने चंबल के बीहड़ों से लेकर संसद तक का सफर तय किया था। फूलन देवी एक गरीब परिवार से थी और शादी के बाद उसने अपने परिवार को छोड़कर अपराध की दुनिया की ओर कदम बढ़ा दिया।
फूलन देवी सबसे अधिक चर्चा में तब आईं जब उन्होंने 22 राजपूत को एक साथ लाइन में खड़े करके गोली मार दी थी। बाद में इंदिरा गांधी के अनुरोध पर उसने अपराध की दुनिया को अलविदा कहा और फिर राजनीति में आ गई। वर्ष 2001 में फूलन देवी की हत्या गोली मारकर कर दी गई थी।
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