Surya Nagri Jodhpur: वैसे तो जोधपुर को कईं नामों से जाना जाता है, जैसे- न्याय नगरी, पोलो नगरी, धर्मनगरी, ब्लू सिटी, लेकिन सूर्यनगरी कहे जाने की वजह ही अलग है। जोधपुर राजस्थान के सबसे खूबसूरत शहरों में से एक है। जोधपुर को सूर्यनगरी इसलिए भी कहा जाता है, क्योंकि यह शहर सूर्योदय और सूर्यास्त के समय बहुत ही अलग और खूबसूरत दिखाई देता है। इस समय इसकी सुंदरता के ओर चार चंद लग जाते हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि सूर्य देवता इस शहर में बहुत देर तक अपना प्रकाश बिखेरते हैं, इसलिए भी जोधपुर को सूर्यनगरी कहा जाता है।
नीले घरों के पीछे की कहानी
उत्खननकर्ताओं कहना है कि यह शहर पहले से ही एक घोड़े की नाल के आकर की तरह से बस हुआ है। इतिहास इस बात साक्ष्य भी रहा है। जब इस शहर को बसाया जा रहा था, इस शहर में एक ब्राह्मणों की कॉलोनी को भी जगह दी गई। जिसका नाम ब्रह्माणपुरी रखा गया। कहा जाता है कि यह कॉलोनी वास्तुशास्त्र के अनुसार बसाई गई थी।
राजा ने इस कॉलोनी में केवल ब्राह्मणों को रहने के लिए कहा था। इसलिए ब्राह्मणों ने राजा से कहा कि उनकी इस कॉलोनी को ओर कॉलोनी से अलग रखा जाए। राजा ने ब्राह्मणों की बात मानी और कहा जैसे ब्राह्मण शिव भगवान के भक्त अथवा उपासक होते हैं। साथ ही शिव जी ने विष पीकर अपना गला भी नीला कर लिया था, जिससे उन्हें नीलकंठ कहा जाता है। उसी प्रकार इन सभी ब्राह्मणों की इस ब्रह्मपुरी का रंग नीला होगा। सभी के घर नीले रंग के होंगे।
क्यों कहा जाता है सूर्यनगरी
माना जाता है कि जोधपुर शहर में सूर्यदेवता सबसे ज्यादा समय पूरे विश्व में जोधपुर में व्यतीत करते हैं। यहां पर सूर्यदेव का कुल समय 8:30 घंटे होता है। इतनी देर सूर्य रहने की वजह से सभी मकानों गर्म हो जाते हैं, जिससे मकानों में गर्मी बहुत हो जाती है। चूंकि कुछ ब्राह्मणों के मकान नीले होते थे तो उनके मकान नीले होने के कारण ठंडे रहते थे। क्योंकि विज्ञान के अनुसार सूर्य की गर्माहट नीले रंग पर कम होती है। इसलिए बाद में सभी ने अपने मकानों को जिला करवाना शुरू कर दिया।
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