Swami Vivekananda 160th Anniversary: आज स्वामी विवेकानंद की 160वीं जयंती है, जिसे हम युवा दिवस के रूप में मनाते हैं। उनके जीवन के प्रेरक विचारों और संदेशों ने न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया को एक नई दिशा दिखाई। महज 39 वर्ष की आयु में उन्होंने संसार को अलविदा ली, लेकिन उनकी शिक्षाएं और कार्य आज भी हमें मार्गदर्शन देती हैं। स्वामी विवेकानंद का जीवन कई अहम सिद्धांतों से भरा हुआ था, जिनमें शिक्षा, आत्मनिर्भरता और भारतीय संस्कृति का महत्व प्रमुख था।
विविदिषानंद नाम से उन्हें पुकारा जाता था
स्वामी विवेकानंद का जन्म एक सामान्य परिवार में हुआ था और उनका असली नाम नरेंद्र था। लेकिन, दुनिया उन्हें नरेंद्र से ज्यादा विवेकानंद के नाम से जानती है। यह नाम उन्हें एक राजसी भूमि राजस्थान के खेतड़ी रियासत के राजा अजीत सिंह से मिला था, जिनका स्वामी विवेकानंद के जीवन में गहरा प्रभाव था। कहा जाता है कि एक दिन राजा अजीत सिंह ने स्वामी विवेकानंद को उनके नाम 'विविदिषानंद' से पुकारा, लेकिन राजा को यह नाम सही नहीं लगा।
महाराजा अजीत सिंह को काफी मानते थे विवेकानंद
उन्होंने इसे बदलकर 'विवेकानंद' रखने का सुझाव दिया, जो बाद में स्वामी विवेकानंद के नाम के रूप में प्रसिद्ध हुआ। यह नाम और पहचान स्वामी विवेकानंद के जीवन का हिस्सा बन गया और उनके विचारों को एक नई ऊंचाई तक पहुंचाया। स्वामी विवेकानंद ने खुद एक बार कहा था, जो कुछ भी मैंने भारत की उन्नति और प्रगति के लिए किया, उसमें महाराजा अजीत सिंह का योगदान अमूल्य है।
दरअसल, यह राजसी सहयोग और दोस्ती स्वामी विवेकानंद के जीवन के एक महत्वपूर्ण मोड़ पर मिली, और यह उन सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया, जो अपने जीवन में किसी महान उद्देश्य के लिए संघर्ष करते हैं। आज भी स्वामी विवेकानंद का जीवन, उनका दृष्टिकोण और उनकी शिक्षा युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणा का स्त्रोत हैं, और खेतड़ी के राजा अजीत सिंह का योगदान इस महान नेता की पहचान बनने में कभी न भूलने वाली भूमिका निभाता है।
ये भी पढ़ें;- Rajasthan Taj Mahal: सिर्फ आगरा में ही नहीं...राजस्थान में भी है एक ताजमहल, जानें कैसे कर सकते हैं यहां की यात्रा