Tijara Fort: राजस्थान के मशहूर शहर में से एक छोटा सा शहर है अलवर, जहां पहाड़ियों के बीच तिजारा किला स्थित है, जो अपनी वास्तुशिल्प के लिए फेमस है। इस किले में राजपूत वास्तुशिल्प के साथ अफगान की वास्तुशिल्प का मिश्रण भी दिखाई देता है। वही यह किला अपनी रोमांचक कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध मानी जाती है। अगर आप भी राजस्थान घूमने का प्लान कर रहे हैं, तो यह किला आपके लिए बेहतर विकल्प है। क्योंकि यहां अभी पर्यटकों का पसंदीदा पर्यटन स्थल में सबसे पहले नंबर पर आता है। तो जानते हैं यहां से जुड़ी मुख्य विशेषताएं और इसे बनाने की रोमांचक स्टोरी।
तिजारा किला का निर्माण
इस किला का निर्माण 18 वीं शताब्दी के अंत और 19 वीं सदी के शुरूआत में किया गया था। जिसे महाराजा बलवंत सिंह ने बनवाया था। इस किले को बनाने के लिए राजा ने दिल्ली और काबुल के फेमस आर्किटेक्ट को बुलवाया था, जिसे बनाने में लगभग 13 साल का समय लग गया था।
तिजारा किले की कहानी
तिजारा किले के बनाने के पीछे एक रोमांचक स्टोरी है। ऐसा कहा जाता है कि इस किलो को राजा बलवंत सिंह ने अपनी माता की स्मृति में बनवाया था, जिसे अलवर की मौसी महारानी के नाम से जाना जाता हैं। दरअसल कहा जाता है कि मौसी महारानी वास्तव में अलवर के एक गांव की साधारण लड़की थीं, जिसको अलवर राज्य के राजा बख्तावर सिंह ने राज्य के ग्रामीण दौरे के अवसर पर देखा था और उन्हें देखते ही पसंद आ गई थी।
इसके बाद राजा मौसी को सम्मान समेत अपने महल में बुलाया और उसे उपपत्नी का दर्जा दिया। इसी वजह से वह मौसी रानी के नाम से जाने जाने लगी। फिर जब राजा बख्तावर सिंह की मृत्यु हो गई तो मौसी रानी ने अपने बेटे बलवंत सिंह की विवाह राजपूताना घराने में की। इसके कई साल बाद जब मौसी रानी की मृत्यु हो गई, तब महाराजा बलवंत सिंह ने अपनी माता के स्मृति में इस भव्य किले को बनाया।
बता दें कि इस किले की वास्तुशिल्प इतना मनमोहक है कि इसे देखकर आंख खुली की खुली रह जाती है। इसलिए यह वर्तमान समय में सबसे प्रसिद्ध स्थल में सबसे पहले नंबर पर आ रहा है। यहां अभी हर रोज हजारों सैलानियां घूमने के आते जाते रहते हैं। अगर आप भी राजस्थान के इतिहास से जुड़ी जगहों घूमने का सोच रहे हैं, तो यह स्थल आपके लिए सबसे परफेक्ट माना जाएगा। इस किले को देखने का समय सुबह 10:00 से शाम के 4:30 तक है।