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राजस्थान का देवमाली गांव अपने आप में सुर्खियां बटोरे हुए है। इस गांव के एक भी घर के दरवाजे पर आपको ताला लगा हुआ दिखाई नहीं देगा। चलिए आपको इसका कारण बताते हैं।

राजस्थान की परंपरा और रीति रिवाज बाकी राज्यों से काफी अलग हैं। यहां के लोग पहनने , खाने पीने और अलग जीवन यापन करने के शौकीन हैं या कह सकते हैं कि अपनी सभ्यता को बनाए रखा है। इसी खासियत में एक ऐसा गांव का नाम आता है जहां की एक अनोखी परंपरा है। बेवाड़ जिले में पड़ने वाला यह गांव पर्यटकों के लिए भी बेहद खास माना जाता है।

इस गांव को बेस्ट टूरिस्ट विलेज ऑफ इंडिया भी घोषित किया गया है। अब आपके मन में यह प्रश्न आ रहे होंगे कि इस गांव में आखिर ऐसा क्या है जिसके चलते इसे बेस्ट टूरिस्ट विलेज का अवॉर्ड दिया है? आइए हम आपको इस पीछे की वजह के बारे में जानकारी देते हैं।

खुद देवनारायण की भूमि है यह गांव

बेवाड़ जिले में स्थित इस देवमाली गांव की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इस गांव में जितने भी घर बने हुए हैं वो किसी के नाम नहीं है। देवमाली गांव पूरे 3000 बीघे में फैला हुआ है। इस गांव के निवासी का यह मानना है कि यह गांव खुद इष्ट देव भगवान देवनारायण की है और इसके ऊपर किसी का अधिकार नहीं है। इस गांव के लोग काफी सख्ती से अपनी संस्कृति और सभ्यता का पालन करते हैं। यहां के निवासी अपनी परम्परा भी पूरी तरह जुड़े हुए हैं।

पूरे गांव के लोग नहीं खाते हैं नॉनवेज 

देवमाली गांव की खासियत यह भी है कि यहां एक भी मकान पक्के के नहीं हैं। यहां स्थित सारे घर मिट्टी के हैं और छत के बदले छप्पर है। इनका रहने का तरीका भी बेहद अलग है। इस गांव में कोई भी नॉनवेज का सेवन नहीं करता है और केवल शाकाहारी चीजें ही खाने का प्रचलन है। ये ही नहीं इस गांव में रहने वाला कोई भी व्यक्ति शराब का सेवन भी नहीं करता है। इस जगह पर खाना पकाने के लिए मिट्टी का तेल और नीम की लकड़ियों को इस्तेमाल में लाया जाता है।

आज तक नहीं हुई इस गांव में चोरी 

देवमाली गांव की एक और सबसे बड़ी बात यह है कि कभी यहां चोरी की वारदात नहीं हुई है। इस कारण से किसी के दरवाजे पर ताले नहीं लगे हुए हैं। इस गांव की अनोखी परंपरा और समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने इसे बेस्ट टूरिस्ट विलेज ऑफ इंडिया घोषित कर दिया है। यदि आप गांव में घूमने का शौक रखते हैं तो देवमाली गांव आपके लिए बेस्ट हो सकता है।

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