Rajasthan Diwas 2025: राजस्थान को एक एकीकृत राज्य में बदलने की प्रक्रिया काफी जटिल और ऐतिहासिक यात्रा थी। इस प्रक्रिया के दौरान राजस्थान सात चरणों का गवाह रहा। एकीकरण की यात्रा 18 मार्च 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना के साथ शुरू हुई थी। आईए जानते हैं राजस्थान के एकीकरण का इतिहास।
प्रारंभिक चरण और मत्स्य संघ का जन्म
18 मार्च 1948 को मत्स्य संघ की स्थापना के साथ इस प्रारंभिक चरण ने क्षेत्र के भीतर रियासतों और छोटे क्षेत्र को समेकित करना शुरू किया। यह प्रक्रिया काफी जटिल थी लेकिन इसी प्रक्रिया के बाद विलय और गठबंधन के लिए मंच तैयार हुआ। इस एकीकरण प्रक्रिया में सबसे महत्वपूर्ण विलय उदयपुर रियासत का राजस्थान संघ में शामिल होना था। इसे बाद में संयुक्त राजस्थान राज्य नाम दे दिया गया।
महाराणा भूपाल सिंह की मांग
लगभग 20 लाख नागरिकों की इच्छा के अनुरूप उदयपुर के शासक महाराणा भूपाल सिंह एकीकरण प्रयास में शामिल हो गए। 23 मार्च 1948 को उन्होंने प्रधानमंत्री सर राम मूर्ति को वीपी मेनन के साथ बातचीत करने के लिए दिल्ली भेजा। वीपी मेनन उस वक्त तत्कालीन गृह मंत्री सरदार पटेल के मार्गदर्शन में एकीकरण कार्य की देखरेख कर रहे थे।
दरअसल महाराणा भोपाल सिंह ने यह मांग रखी थी कि उदयपुर को नवगठित संयुक्त राजस्थान की राजधानी बनाया जाए। 18 अप्रैल 1948 को एक ऐतिहासिक समारोह में स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की उपस्थिति में फतेह प्रकाश पैलेस के दरबार हॉल में विलय पत्र पर हस्ताक्षर हुआ। इसके बाद राजस्थान संघ का नाम बदलकर संयुक्त राजस्थान कर दिया गया और उदयपुर राजस्थान की राजधानी घोषित हुई। महाराणा भूपाल सिंह राज्य प्रमुख की उपाधि से सम्मानित हुए और इसी के साथ माणिक्य लाल वर्मा प्रधानमंत्री बने।
राजस्थान का गठन
30 मार्च 1949 को एकीकरण का अंतिम चरण आया। मेवाड़ के पूर्व राज्य परिवार के ऐतिहासिक दस्तावेजों के अनुसार सरदार वल्लभभाई पटेल 14 जनवरी 1949 को उदयपुर आए थे। उनके उदयपुर आने का उद्देश्य एकीकरण प्रक्रिया को आगे बढ़ना था। इसके ठीक 2 महीने बाद मेवाड़ के नेतृत्व में प्रमुख रियासतों ने विलय पत्र पर हस्ताक्षर करके राजस्थान के नए राज्य का आधिकारिक गठन किया।
जयपुर के महाराजा सवाई मानसिंह को राज्य का राज्य प्रमुख नियुक्त किया गया और इसी के साथ महाराणा भूपाल सिंह को आजीवन महाराज प्रमुख के पद पर पदोन्नत किया गया। तभी से ही हर वर्ष 30 मार्च को राजस्थान दिवस मनाने के परंपरा शुरू हुई।
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