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Rajsamand Piplantri Village: बेटा और बेटी एक समान हैं, यह बात कहते तो कई लोग हैं, लेकिन असल जीवन में इसे अपनाते नहीं हैं या यूं कहें कि थोड़ी असमानता देखने को मिलती है। लेकिन राजस्थान का यह गांव ऐसा है, जहां बेटे और बेटी को एकसमान अधिकार मिलते हैं।

Rajsamand Piplantri Village: बेटी जन्मी यह यह शब्द सुनकर ही कईयों के चेहरे मुरझा जाते है, उनकी खुशी की हवायें उड़ जाती है मानो जैसे जीवन में ग्रहण लग गया हो। यह धारणा और सोच ज्यादातर गांव के लोगों में होती है, लेकिन क्या हो जब बेटी के जन्म पर खुशियां कुछ खास तरीके से मनाई जाएं।

जी हां मैं बात कर रही हूं राजस्थान का इकलौता गांव जहां बेटी के पैदा होने पर लगाए जाते हैं 111 पौधे। पिपलांत्री एक अनोखा गांव है, जो चारों तरफ से पहाड़ियों से घिरा हुआ है और यह बेटी, पानी, पेड़ और गोचर भूमि बचाने के लिए पूरे देश में जाना जाता है। यहां हर साल रक्षाबंधन पर पिपलांत्री गांव की बेटियां अपने भाई को राखी बांधने से पहले पेड़ों को राखी बांधती हैं। 

यह पहल एक आदर्श मॉडल 

सरपंच श्याम सुंदर पालीवाल ने इस खूबसूरत काम का बीड़ा उठाया और पंचायती राज में होने वाले काम को सही तरीके से करके एक आदर्श मॉडल प्रस्तुत किया। वहीं इस गांव में करीब 30 लाख पेड़ लगाए गए हैं। बेटी, पानी, पेड़ और गोचर भूमि बचाने के लिए श्याम सुंदर पालीवाल को 2021 में पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है। इस गांव में अगर बेटी जन्म लेती है तो स्थानीय महिलाएं थाली मादल बजाती हुई गीत गाकर उसके घर जाकर बधाई देती हैं। जिसके बाद बेटी के नाम से परिवार को 111 पौधे लगाने होते हैं। 

अनोखे पहल का उद्देश्य

इस अनोखे पहल का उद्देश्य इलाके को हरा-भरा करना, ग्रामीणों को पर्यावरण के साथ जोड़ना और बेटी बोझ नहीं होती इस विचार को बदलना है। वहीं बेटी के पैदा होने पर इस पंचायत में उत्सव मनाया जाता है। इतना ही नहीं हर साल रक्षाबंधन पर गांव की बेटियां अपने भाई को राखी बांधने से पहले पेड़ों को राखी भी बांधती हैं ।

पर्यटक भी घूमने आते हैं यहां

कहा यह भी जाता है कि जिस तरह से भाई अपनी बहन की रक्षा करता है उसी प्रकार यह पेड़ भी प्रकृति की रक्षा करते हैं। टूरिस्ट विलेज के तौर पर हो रहा विकसित इस गांव में जब भी किसी दूसरे देश के पर्यटक घूमने के लिए आते हैं, उनके आने की खुशी में एक पौधा लगाया जाता है।  

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