Gangaur Festival: राजस्थान अपनी समृद्ध संस्कृति और भव्य त्योहारों के लिए मशहूर है, इनमें से एक है गणगौर। गणगौर त्यौहार पूरे राजस्थान में मनाया जाता है साथ ही जिस तरह राजस्थान में मनाया जाता है, जो दुनिया भर में मशहूर है। इस त्यौहार की सबसे शानदार परंपराओं में से एक है 12 गणगौर का जुलूस। यह यात्रा जयपुर की सड़कों पर काफी भव्यता के साथ निकलती था, लेकिन अभी यह इतिहास में कहीं लुप्त हो गया है। आइए जानते हैं इसके पीछे की कहानी।
गणगौर का शाही उत्सव
होली के बाद 16 दिन मनाए जाने वाला गणगौर भक्ति और संस्कृति का एक शानदार मेल है। जयपुर में गणगौर का भव्य यात्रा निकलती था। प्रतिष्ठित सेठना परिवार की बहू और अन्य स्थानीय कारीगर पारंपरिक पोशाक चांदी की पायल और कीमती रतन से जुड़े सोने के आभूषणों से गणगौर माता का श्रृंगार करते थे। यह नजारा देखते ही बनता था।
12 गणगौर की यात्रा की परंपरा 155 साल से भी पुरानी है। इस त्यौहार का मुख्य केंद्र जयपुर के जोहरी बाजार में नमकीन वालों की गली में स्थित 12 गणगौर मंदिर था। इस मंदिर में भगवान शिव, चार गौरी, चार गण और ईसर जी की पूजा की जाती थी और यहां स्थानीय मूर्तिकारों द्वारा बनाई गई 10 जटिल नक्काशीदार लकड़ी की मूर्तियां भी थी।
क्यों हुई यह यात्रा बंद
2011 में पूर्व महाराजा भवानी सिंह की मृत्यु के बाद 12 गणगौर की यात्रा बंद हो गई। साथ ही मंदिर के पतन के अलावा लगभग 15 साल पहले देती थी और सोने से पॉलिश की गई गणेश जी की पीतल की मूर्तियों के चोरी हो जाने से मंदिर को बड़ा झटका लगा। इसके बाद इस परंपरा को बनाए रखना और भी मुश्किल हो गया। हालांकि आज भी लोग गणगौर माता के दरबार में मन्नत मांगने के लिए आते रहते हैं लेकिन यात्रा के बंद हो जाने के बाद से यह ऐतिहासिक आकर्षण अब लगभग खत्म होता जा रहा है।
ये भी पढ़ें:- CM Bhajanlal Sharma: कोटा के छात्रों को सीएम का बड़ा तोहफा, 1.25 लाख पदों पर नई भर्ती की घोषणा