Ajmer Discom: राजस्थान में अब पूरा बिजली सिस्टम बड़ी कम्पनियों को सौंपा जाएगा। विद्युत निगमों द्वारा हाइब्रिड एन्युइटी मॉडल जारी किया जा रहा है। अजमेर डिस्कॉम के अधीन प्रदेश के 17 जिलों के लिए 20 टेंडर दिए गए हैं। जिसमें निजी सेक्टर को 10 साल के लिए 694 सब स्टेशन और 1946 फीडर दिए जाएंगे। डिस्कॉम की ओर से 13037.73 करोड़ के टेंडर के साथ सब स्टेशनों पर सोलर प्लांट भी लगाए जाएंगे।
नई व्यवस्था लागू होते ही आने वाले 10 साल के अंदर बिजली संबंधी सभी सेवाएं निजी कम्पनियों के हाश में दे दी जाएंगी। बिजली निगम सिर्फ GSS तक बिजली पहुंचाने का काम करेंगे, जबकि जीएसएस से उपभोक्ताओं तक बिजली पहुंचाने का काम निजी कम्पनियां करेंगी। ऐसे में संभव है, कि आम जनता की समस्याओं और शिकायतों को ज्यादा गंभीरता से ना लिया जाए। नए सिस्टम लागू होने से यह सवाल उठाता है कि सरकारी कर्मचारी कहां जाएंगे।
नए सिस्टम में किए जाएंगे ये काम
1- उपभोक्ताओं का सर्वे कर बिजली सिस्टम ठीक कराया जाएगा।
2- पुराने फीडर को नए फीडर से बदला जाएंगा।
3- बिजली सिस्टम का सही तरीके से मेंटिनेंस और संचालन का काम किया जाएगा।
4- मीटर लगाने के साथ-साथ बिजली आपूर्ति का भी काम किया जाएगा।
क्या होगी नई भुगतान व्यवस्था?
डिस्कॉम द्वारा कम्पनी को पहली बार में 50 फीसदी राशि दी जाएगी, शेष राशि को किस्तों में दिया जाएगा। कम्पनी को बिजली का काम सौंपने से पहले निगम से विद्युत तंत्र की सारी सामग्रियों पर हस्ताक्षर कराएं जाएंगे। इसके बाद ही सामग्री निजी कम्पनी के हाथों में आएंगी।
विद्युत निगम के कर्मचारियों से बात-चीत के बाद ही होगी कार्रवाई
रिटायर्ड एसइ व ऊर्जा सलाहकार इंजि. वाई.के. बोलिया ने कहा कि डिस्कॉम एरिया में 13000 करोड़ से ज्यादा पैसे खर्च करने से पहले विद्युत निगम को पूरी जानकारी देनी चाहिए थी। राजस्थान विद्युत विनियामक आयोग में याचिका पेश कर हितधारकों को विचार-विमर्श का मौका देना चाहिए। इससे विद्युत निगम के कर्मचारी भी प्रभावित होंगे। साथ ही कर्मचारियों से बात-चीत के बाद इस पर कार्रवाई होनी चाहिए।
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