Bikaner Camel Festival: प्राचीन संस्कृति, विरासत और परंपराओं की समृद्ध भूमि राजस्थान में कई तरह के आयोजन होते हैं। इन आयोजनों से राज्य की समृद्ध विरासत और संस्कृति झलकती है। देश-दुनिया के विभिन्न हिस्सों से पर्यटक इस समृद्ध संस्कृति का गवाह बनने पहुंचते हैं। इसी कड़ी में बीकानेर ऊंट उत्सव को लेकर भी चर्चा है।
दरअसल, राजस्थान के बीकानेर जिले में 10 से 12 जनवरी तक बीकानेर ऊंट उत्सव का आयोजन होगा। इस आयोजन के लिए पर्यटन विभाग ने मोर्चा संभाल लिया है। पर्यटन विभाग के आयुक्त विजयपाल सिंह लगातार आयोजन से जुड़ी तैयारियों की समीक्षा कर रहे हैं।
क्यों खास है बीकानेर ऊंट उत्सव?
राजस्थान के बीकानेर जिले में 10 से 12 जनवरी तक आयोजित होने वाला ऊंट उत्सव कई मायनो में खास है। पीले चावल के वितरण के साथ बीकानेर वासियों को इस आयोजन के लिए आमंत्रित करना शुरू किया जा चुका है। जानकारी के मुताबिक 10 जनवरी को हेरिटेज वॉक के साथ बीकानेर ऊंट उत्सव की शुरुआत होगी। बिका जी की टेकरी, मोहता चौक, बड़ा बाजार, लक्ष्मीनाथ मंदिर, सूरसागर जैसे ऐतिहासिक स्थलों का भ्रमण होगा। वहीं देर शाम रंगोली और मेहंदी के अलावा संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर 10 जनवरी के कार्यक्रम को विराम दिया जाएगा।
10 जनवरी के बाद 11 जनवरी को ऊंट नृत्य, ऊंट सजावट, कैमल फर कटिंग जैसे शो आयोजित किए जाएंगे। इनका आयोजन स्थल राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केंद्र होगा। 11 जनवरी को ही जूनागढ़ फोर्ट से करणीसिंह स्टेडियम तक शोभायात्रा भी निकाली जाएगी। अंततः देर शाम सांस्कृतिक कलाकारों द्वारा लोक गायन की प्रस्तुति के बाद कार्यक्रम पर विराम लगेगा।
बीकानेर ऊंट महोत्सव के तीसरे दिन 12 जनवरी को रायसर में खो-खो, रेल दौड़, कबड्डी आदि जैसे खेल आयोजित किए जाएंगे। इसके बाद ऊंट सफारी और सैंड आर्ट एक्सहिबिशन होगा। ततपश्चात पुराने शहर की सैर और बीकानेरी व्यंजन के स्वाद के साथ आयोजन का समापन होगा।
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