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Guillian Berry Syndrome Case in Rajasthan: राजस्थान में सामने आया गुईलेन बैरी सिंड्रोम का पहला केस। इस बीमारी में शरीर खुद को ही दुश्मन मानकर हमला करने लगता है।

Guillian Berry Syndrome Case in Rajasthan: जयपुर में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम का पहला मामला सामने आ चुका है। मामले के सामने आने के पश्चात चिकित्सा विभाग में हड़कंप मच गया है। यह बीमारी एक ऐसी बीमारी होती है जिसमें इंसान के इम्यून सेल्स शरीर के न्यूरोसेल्स को ही दुश्मन समझने लगते हैं। इस बीमारी ने पहले भी कई बार आतंक मचाया है और यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग इसको लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है।

सूत्रों के मुताबिक एसएमएस मेडिकल कॉलेज की लैब में इस बीमारी से पीड़ित मरीज की जांच हुई और इसकी पुष्टि हो गई है। जिस कारण स्वास्थ्य विभाग द्वारा पूरे राजस्थान में अलर्ट जारी करवा दिया गया है। लाभ के अधिकारियों ने कैंपिलोबैक्टर की पुष्टि करते हुए अलर्ट जारी किया है। आपको बताते चले पुणे में गुइलेन-बैरी सिंड्रोम ने भारी तबाही मचाई है और इसी वजह से राजस्थान में सरकार अलर्ट हो गई है?

क्या होता है गुइलेन-बैरी सिंड्रोम?

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम एक न्यूरोलॉजिकल बीमारी है, जिससे पीड़ित होने के पश्चात मरीज में पैरालिसिस के लक्षण दिखने लगते हैं। जब मरीज इस बीमारी का शिकार होता है तब इसके बैक्टीरिया को खत्म करने के लिए शरीर इम्यूनिटी निर्माण करता है। किंतु जब इम्यूनिटी बैक्टीरिया को खत्म कर देती है तो कई बार ऐसा होता है कि इम्यूनिटी सेल्स न्यूरॉन की पेरीफेरल नसों को भी दुश्मन समझ लेती हैं और उन पर भी हमला कर देती हैं।

जिससे दिमाग द्वारा दिए जाने वाले सिग्नल्स को शरीर के विभिन्न हिस्सों तक पहुंचने में परेशानी होती है और इस कारण से शरीर की मांसपेशियों में सुन्नता और कमजोरी दिखने लगती है। इसके अलावा कुछ मामलों में ऐसा होता है कि मरीज पैरालिसिस का शिकार हो जाता है।

गुइलेन-बैरी सिंड्रोम के लक्षण

इस सिंड्रोम के लिए मुख्य जोखिम कारकों में से एक जेजूनी संक्रमण बैक्टीरिया है जो मतली उल्टी और दस्त जैसे लक्षणों के पीछे का मुख्य कारण बनता है। इस सिंड्रोम के दौरान हाथ और पैर की उंगलियां टैकनों, पैरों और कलाइयों में झुनझुनी होने लगती है और चलने में परेशानी भी आती है।

इस दौरान बोलने या जीभ निकालने में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दिल की धड़कन असामान्य होने के साथ-साथ ब्लड प्रेशर भी लो या हाई होता रहता है। इस बीमारी के दौरान मरीज को सांस लेने में परेशानी और ब्लैडर कंट्रोल या बाउल फंक्शन में दिक्कत होती है। 

क्यों होता है गुइलेन-बैरी सिंड्रोम?

इस बीमारी के लक्षण मुख्यतः कुछ समय तक रहते हैं। इसके पश्चात ज्यादातर व्यक्ति लंबे समय में गंभीर न्यूरोलॉजिकल रिस्क के बिना ठीक हो जाते हैं। इसके अलावा यह भी माना जाता है कि यह सिंड्रोम ज्यादातर दूषित पानी और अनहेल्दी खाने से होता है। यह सिंड्रोम रूम मुख्य रूप से न्यूरोवायरस के कारण होता है, जो दूषित पानी और भोजन द्वारा फैलता है। इसके अलावा यह संक्रमित व्यक्ति के उल्टी कर देने पर निकलने वाले हवा में मौजूद कणों के जरिए भी फैल सकता है।

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