Decrease Price Of Animal Feed: भारत एक कृषि प्रधान देश है। जहां पर ज्यादातर आबादी की आर्थिक स्थिति कृषि पर निर्भर करती है। खासतौर पर जब बात ग्रामीण इलाके की आती है, तो वहां का जनजीवन कृषि और पशुपालन से बेहद प्रभावित होता है।
कृषि और पशुपालन ग्रामीण इलाके के लोगों का बेहतर जीवन तय करते हैं। फसलों की बेहतर पैदावार किसानों के लिए जहां एक और खुशी की संदेश देती है, तो वही पशुपालन भी भारत के किसानों के लिए द्वित्तीय श्रेणी में आती है।
गेहूं की बेहतर पैदावार से चारे की कीमत में आई गिरावट
जहां भारत पूरे विश्व में दुग्ध उत्पादन में पहले नंबर पर आता है, ऐसे में भारतीय किसान के लिए इस महंगाई के समय में सबसे बड़ी चिंता होती है पशुओं के चारे की। अगर किसान की खेतों में गेहूं, चावल और मक्के की बेहतर पैदावार होती है तो इन फसल के साथ जानवरों के चारे का भी बेहतर इंतजाम हो जाता है। ऐसे में राजस्थान के टोंक जिले के कुछ क्षेत्र में में इस बार गेहूं की बेहतर पैदावार हुई है।
जो कि पशुपालकों के लिए बेहद खुशी की बात है, गेहूं की बेहतर पैदावार होने से न सिर्फ अन्न की उत्पादन में वृद्धि होती है बल्कि इससे पशुओं के चारे का भी बेहतर इंतजाम हो जाता है। ऐसे में टोंक जिले के इस क्षेत्र में गेहूं की बेहतर पैदावार होने से पशुओं के चारे की कीमत में प्रभाव पड़ा है।
इतने रुपए सस्ता हुआ चारा
आपको बता दें की गेहूं की फसल रबी के सीजन में होती है। लिहाजा राजस्थान के टोंक जिले के जिन क्षेत्रों में गेहूं की बंपर पैदावार हुई है उन क्षेत्रों में ग्राम पंचायत सोप, आमली मोहम्मदपुरा, मंडावरा, देवली,पायगा, झुडवा, खातोली, हैदरीपुरा, चोरु और पचाला इलाके प्रमुख तौर पर शामिल है। इस बार इस ग्राम पंचायत के गांव में 1800 हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई थी। जिसमें गेहूं की बेहतर फसल के साथ चारा भी भरपूर हुआ है।
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बता दें कि पिछले साल की तुलना में बेहतर चारा होने की वजह से इसकी कीमत में भारी गिरावट आई है। जहां पिछले साल यही चारि 350 से 400 रुपए मन में बिक रहा था। वहीं इस साल यह चारा 150 से 200 रुपए मन में आसानी से मिल जा रहा है।
चारे की कीमत में और आएगी कमी
इस साल मौसम बेहतर होने की वजह से गेहूं की फसल इन क्षेत्रों में काफी बेहतर हुई है। जिस वजह से चारा उत्पादन भी बेहतर हुआ है। ऐसे में पशुपालकों के लिए चारा की कीमत में आई गिरावट बेहद अच्छी खबर है। वहीं चूंकी अब पशुपालकों को दूसरे शहर से चार मंगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। क्योंकि स्थानीय स्तर पर ही पशुपालकों को बेहतर चारा बेहद कम कीमत में मिल रही है। इसके साथ ही चारा की कीमत में और गिरावट होने की संभावना भी है।