Rajasthan Electricity: 2031-32 तक अपनी बिजली सुरक्षा को और भी मजबूत करने के लिए राजस्थान की बिजली उपयोगिताओं ने राज्य विद्युत विनियामक आयोग के सामने याचिका दायर की है। इस याचिका में 3200 मेगावाट की कुल क्षमता वाले 25 वर्षीय बिजली खरीद समझौते के लिए मंजूरी मांगी गई है। यानी की अब बिजली कंपनियां 32 मेगावाट बिजली खरीदेंगी।
36000 मेगावाट बिजली के लिए चल रहे काम
2.30 लाख करोड़ की लागत वाली 45 जीडबल्यू क्षमता के लिए केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों (MOUs) के साथ ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। 50% खरीद के बाद भी यह 22 जीडबल्यू से ज्यादा अतिरिक्त बिजली का अनुवाद करता है। इसी के साथ सरकारी भवनों पर 1000MW रूफटॉप सोलर और पीएम सूर्यघर रूफटॉप सोलर योजना के तहत 1500 मेगावाट पर कार्य चल रहा है।
सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कुसुम ए और सी 16 परियोजनाओं के माध्यम से 12000 मेगावाट जिसमें से 6288 मेगावाट के कार्य के आदेश पहले ही दिए जा चुके हैं। इन सभी प्रतिबद्धताओं के बावजूद थर्मल, सौर और विंड में कुल 36जीडबल्यू से ज्यादा 3.02जीडबल्यू याचिका में आने वाले बिजली उत्पादन का संदर्भ नहीं दिया गया है।
विशेषज्ञों की आपत्तियों
कई विशेषज्ञ आयोग में आपत्ति दर्ज कर रहे हैं, उनका कहना है की याचिका 2021-22 और 2022-23 के लोड डाटा पर निर्भर करती है। उन्होंने एक नई मांग पूर्वानुमान का आग्रह किया जिसमें छत और उपयोगिता पैमाने के नवीकरणीय ऊर्जा में तेजी से वृद्धि शामिल हो।
इसी के साथ विशेषज्ञ कहते हैं कि सौर पवन और भंडारण प्रौद्योगिकियों की घटती लागत की तुलना में दीर्घकालिक धर्म अनुबंधों में उचित टैरिफ लॉक होने का जोखिम है। इन्हीं सभी आपत्तियों के जवाब में राजस्थान ऊर्जा विकास निगम ने मौजूदा MOUs से नियोजित ऑफ टेक शेड्यूल के साथ विस्तृत औचित्य प्रस्तुत करने के लिए चार हफ्तों का समय मांगा है।
लगाए जाएंगे चार थर्मल प्लांट
टेंडर डॉक्यूमेंट के अनुसार बोली जटाओं को राजस्थान के बाहर चार 800 मेगावाट के थर्मल प्लांट स्थापित करने होंगे। इसके बाद कंपनियां राजस्थान के सिवाय बाकी दूसरे राज्यों में भी प्लांट लगाकर बिजली सप्लाई कर पाएगी।
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