Rajasthan Pigeon House: सभी धर्मों में दान को उच्च महत्व दिया गया है। कहा जाता है कि किसी भी अच्छे कार्य के सिद्ध होने पर कबूतरों को दाना और गायों को चारा डालना चाहिए। राजस्थान के राजसमंद में किसान अपनी बोई हुई फसल का एक हिस्सा कबूतरों के नाम के लिए निकलते हैं। आईए जानते हैं ऐसा क्यों किया जाता है।
क्या है इसके पीछे की वजह
राजसमंद के तीन स्थलों पर कबूतर खाने बने हुए हैं। दरअसल सामाजिक कार्यों के दौरान कबूतरों के नाम से दाना और चारा डलवाने का संकल्प लिया जाता है। उन कबूतर खाने में सैकड़ो कबूतर रहते हैं। कबूतरों के खाने पीने की व्यवस्था के इंतजाम किए गए हैं। आपको बता दें कि इन कबूतरों को 50 से 100 किलो तक हर रोज मक्का या फिर गेहूं डाला जाता है। मुख्य रूप से यह काम कार्य सेवाभाव के रूप में आसपास के दुकानदार करते हैं। ऐसा कहा जाता है कि कबूतर शांति और प्रेम के प्रतीक होते हैं और इन्हें दाना डालने से कई तरह के दोष दूर होते हैं और तरक्की के मार्ग भी खुलते हैं।
राज नगर फव्वारा चौक कबूतर खाना
राजनगर के फव्वारा चौक के पास वर्षों पुराना एक कबूतर खाना है। यहां प्रतिदिन 30 किलो मक्का या फिर गेहूं डाला जाता है। आसपास के दुकानदार बताते हैं कि किसान यहां पर दाना रख कर चले जाते हैं और समाज के लोगों की ओर से भी दाना उपलब्ध कराया जाता है।
धोईंदा में 30 साल पुराना कबूतर खाना
मंदिर के पास बना कबूतर खाना वहां के कारीगरों द्वारा मिलजुल कर बनवाया गया था। यहां पर हर रोज एक क्विंटल दाना नियमित रूप से डाला जाता है। यहां पर दाने का इंतजाम ग्रामीणों के सहयोग से किया जाता है। हालांकि दाना कम पड़ने के बाद खजुरिया श्याम मंदिर में सूचना देने पर वहां से पिकअप भरकर दाना कबूतर खाने में पहुंच जाता है।
100 फीट रोड के पास बना कबूतर खाना
शहर के 100 फीट रोड के पास तुलसी विहार में एक नया कबूतर खाना बनवाया गया है। यह जगह काफी शांत है इस वजह से ज्यादातर लोग यहां के बारे में नहीं जानते। लेकिन यहां भी दाने का इंतजाम आसपास के लोग ही करते हैं।
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