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Farming Model For Rajasthan- राजस्थान जैसे राज्य में जल की कमी के कारण खेती करना मुश्किल होता है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने खेती का यह मॉडल विकसित किया है जिसके जरिए किसानों के लिए सिंचाई आसान होगी और सरकार इसके लिए उन्हें सब्सिडी भी देगी। 

Farming Model For Rajasthan- राजस्थान का अधिकांश हिस्सा थार मरुस्थल के अंतर्गत आता है। यह एक ऐसा हिस्सा है जो पहले से ही जलवायु के दृष्टिकोण से बहुत ही अधिक विषम परिस्थितियों वाला भूभाग रहा है। बीते कुछ वर्षों से दुनिया भर में हो रहे जलवायु परिवर्तन का प्रभाव इस क्षेत्र में भी दिखने लगा है। ऐसी स्थिति में जलवायु के इस परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए राजस्थान के वैज्ञानिकों ने खेती का एक शानदार मॉडल तैयार किया है। जिससे आने वाले दिनों में हर के इन दुर्गम इलाकों में खेती करना और भी आसान हो जाएगा। 

जल संचयन में सहायक 
दरअसल खेती का यह मॉडल थार के शुष्क वातावरण को देखते हुए तैयार किया गया है। जिसमें खेत के अंदर तलाब बनकर उसमें बारिश के मौसम में पानी इकट्ठा किया जाएगा। सोलर पैनल्स का उपयोग करते हुए सौर ऊर्जा को संग्रहित करके इस तालाब के पानी से साल भर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम के जरिए सिंचाई की जाएगी। इससे न सिर्फ वर्षा जल संचयन होता बल्कि पानी के बूंद बूंद का उपयोग किया जा सकेगा। क्योंकि इसमें सौर ऊर्जा का उपयोग किया जाएगा इसलिए यह पूरी तरीके से प्रदूषण रहित और होगा। ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में भी इसका योगदान रहेगा। 

राजस्थान के जलवायु के लिए है उपयोगी 
खेती का यह मॉडल राजस्थान की जलवायु के बिल्कुल सटीक मॉडल है। क्योंकि बीते कुछ सालों से देखा गया है कि राजस्थान की जलवायु अप्रत्याशित रूप से परिवर्तित हुई है और यह बारिश के दिनों की संख्या घट गई है जबकि बारिश की तीव्रता में बढ़ोतरी देखने को मिली है। ऐसे में जब खेती में किसानों द्वारा इस मॉडल को अपनाया जाएगा तो वर्षा जल का अधिकांश हिस्सा संचालित हो जाएगा और साल भर के सिंचाई की आवश्यकता के लिए जल की पर्याप्त मात्रा बनी रहेगी। 

जोधपुर में किया गया परीक्षण 
राजस्थान जैसे शुष्क मरुस्थलीय प्रदेश में जल की कमी आम बात है लेकिन अगर खेती के इस मॉडल को अपनाया जाएगा तो जल की इस कमी को काफी हद तक कम किया जा सकेगा। साथ ही साथ किसानों को बहुत कम लागत में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध हो जाएगी। कजरी के प्रधान वैज्ञानिक पी शांतरा ने इस मुद्दे पर बात करते हुए बताया कि केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के द्वारा इस प्रोजेक्ट को बनाने के लिए 70 लाख रुपए खर्च किए गए। तब जाकर खेती का यह मॉडल तैयार हुआ। जिसका परीक्षण जोधपुर जिले में किया गया। इस मॉडल को पूरे तैयार होने में लगभग 4 साल का समय लग गया लेकिन, अब यह मॉडल पूरी तरीके से तैयार है और इससे किसानों को बहुत अधिक फायदा होने वाला है।

मिलेगी सब्सिडी 
खेती के इस मॉडल से किसानों को कई तरीके से फायदा होगा। न सिर्फ उनके लिए सिंचाई की लागत घट जाएगी, बल्कि समय पर सिंचाई होने के कारण उनकी पैदावार भी बढ़ेगी। साथ ही साथ सरकार द्वारा उन्हें इस योजना मॉडल को लागू करने के बाद सब्सिडी भी दिया जाएगा। इस प्रकार से किसानों को भरपूर सहयोग दिया जाएगा। क्योंकि खेती के इस मॉडल को लगाने में शुरुआती खर्च 3 से 4 लख रुपए का आएगा। खेतों में तीन या पांच हार्स पावर का सोलर पंप लगवाने की कुल लागत लगभग दो से साढे तीन लाख तक हो सकती है जबकि तालाब बनवाने की लागत 80000 के आसपास हो सकती है। इस हिसाब से किसानों के लिए इस लागत का भुगतान करना आसान नहीं होगा। इसीलिए सरकार इस योजना के साथ-साथ सब्सिडी ला रही है। इससे किसानों को अतिरिक्त खेती करने में भी आसानी होगी और वह अपनी आय में बढ़ोतरी कर पाएंगे। यह एक दूरदर्शी मॉडल है जो जलवायु परिवर्तन के दृष्टिकोण से भी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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