Rajasthan Unique Tradition In Village: राजस्थान अपनी जीवंत संस्कृति और राजसी इतिहास के लिए तो प्रसिद्ध है ही साथ ही यहां पर्यावरण संरक्षण का भी पूरा ध्यान रखा जाता है। यहां पर कई ऐसी अनोखी परंपराएं की जाती हैं जो प्रकृति और मानव जीवन के बीच गहरे संबंध को दर्शाती हैं। आज कि इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी ही परंपरा की जो भीलवाड़ा जिले के संगरिया गांव में मनाई जाती है। आईए जानते हैं क्या है यह परंपरा।
एक अनूठा विवाह समारोह
संगरिया गांव में एक विवाह समारोह आयोजित किया जाता है जिसमें भगवान वरुण देव (तालाब) को दूल्हे के रूप में और वरुणी देवी (नाड़ी) को दुल्हन के रूप में पूजा जाता है। यह विवाह समारोह दो दिन तक चलता है और इसमें तोरण, हथलेवा, हवन और भव्य धार्मिक समारोह किए जाते हैं। इस अनूठी परंपरा को देखने के लिए आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होते हैं।
हिंदू धर्म में पृथ्वी को देवी के रूप में माना जाता है। इसी के साथ नदियों, जंगलों, तालाबों, पहाड़ों, पेड़ों और यहां तक की पक्षियों और जानवरों की भी पूजा और सुरक्षा की जाती है। पर्यावरण के प्रति यह प्रेम एक सम्मान के रूप में प्राचीन काल से चला हुआ आ रहा है।
एक खूबसूरत परंपरा का संरक्षण
संगरिया गांव की है परंपरा प्रकृति के साथ जीवन के महत्वपूर्ण संबंध को दर्शाती है। इसे यह पता चलता है कि यें तालाब और नदियां महज संसाधन नहीं हैं बल्कि जीवन देने के स्रोत हैं। जो सम्मान और सुरक्षा की हकदार है। संगरिया के लोग अपने प्राचीन परंपरा को आज भी जीवित रख रहे हैं। इसी अवसर पर संगरिया गांव में हरि बोल प्रभातफेरी का भी आयोजन किया जाता है। इस आयोजन के दौरान आसपास के 101 गांव से भक्तगण हरि कीर्तन करते हुए शामिल होते हैं।
ये भी पढ़ें...Rajasthan Indo-Pak Border: राजस्थान के इस जिले से लगती है पाकिस्तान की सीमा, जहां सुरक्षा के लिए किए गए कड़े इंतजाम