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Electricity cost in Rajasthan: राजस्थान में पूरे देश के मुकाबले सबसे महंगी बिजली मिल रही है। जिससे भीलवाड़ा के उद्यमी नीमच और गुजरात में पलायन कर रहे हैं। सरकार बिजली में किसी भी प्रकार का अनुदान या छूट नहीं दे रही है।

Rajasthan Electricity Tariff Hike: राजस्थान की औद्योगिक बिजली की कीमत अब देश से सबसे ज्यादा हो चुकी है। पूरे देश में सबसे महंगी बिजली यहीं पर है। इसके अलावा आंध्रप्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में सबसे सस्ती दरों पर बिजली मिल रही है। इन राज्यों की सरकारें बिजली के बिल पर छुट और अनुदान देती है। जिला स्तर समिट में भी कईं मुद्दों पर बातचीत हुई और MOU साइन हुए, लेकिन बिजली की दरों में कोई परिवर्तन नहीं दिखा और न ही बिजली को लेकर कोई प्रोजेक्ट चल रहा है। उद्योगों के सोलर प्लांट की क्षमता 100 प्रतिशत से ज्यादा नहीं है। जबकि सरकार ने 2024 के लिए बजट में सौर उत्पादन की सीमा को 100 से 200 प्रतिशत तक बढ़ाने का वादा किया था। न तो कोई नोटिफिकेशन जारी हुआ ओर न ही किसी को कुछ फायदा हुआ। इस सबके बाद अब कईं उद्यमी राजस्थान के बजाय गुजरात में अपने उद्योगों का विस्तार करने की सोच रहे हैं। ऐसी ही एक घटना भीलवाड़ा की भी है। भीलवाड़ा में 500 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट चलने वाला था, लेकिन बिजली महंगी होने के कारण इस प्रोजेक्ट को मध्यप्रदेश के नीमच में शिफ्ट कर दिया गया। 

राजस्थान के अलावा अन्य राज्यों में फायदा 

राजस्थान की तुलना में अन्य राज्यों में व्यापारियों को ज्यादा फायदा मिल रहा है। यहां पर उन्हें सस्ती दरों पर बिजली मिल रही है। इसके अलावा टेक्सटाइल पॉलिसी में भी बिजली की दरों में कोई बदलाव नहीं दिखाई दे रहा। जबकि गुजरात, आंधप्रदेश और महाराष्ट्र राज्यों में बिजली की दरों पर 1 रुपए से 3 रुपए तक की छूट मिल रही है।

 गुजरात राज्य में भी व्यापारियों को 1 रुपए प्रति यूनिट तक का फायदा दिया जा रहा है। यह अनुदान उन्हें अगले पांच वर्षों तक मिलता भी रहेगा। साथ ही ओपन एसेस के जरिए लिए गए पावर पर भी इसी तरह का अनुदान मिल रहा है। इसके अलावा महाराष्ट्र राज्य में भी इलेक्ट्रिसिटी पावरलूम, होजरी, निटिंग और गारमेंट्स व्यापारियों को भी 3.40 रुपए से लेकर 3.77 रुपए प्रति यूनिट तक का अनुदान दिया जा रहा है और साथ ही प्रोसेसिंग एवं स्पिनिंग व्यापारियों को भी 2 रुपए प्रति यूनिट तक का अनुदान दिया जा रहा है। आंध्रप्रदेश में इलेक्ट्रिसिटी सब्सिडी MSME में भी 2 रुपए प्रति यूनिट तक की छूट दी जा रही है।

महंगी बिजली के कारण हो रहा पलायन 

उद्योगों में 100 प्रतिशत क्षमता के सोलर प्लांट लगे होने के बावजूद भी केवल 20 प्रतिशत सौर ऊर्जा क्षमता का उपयोग किया जाता है। बाकी की 80 प्रतिशत क्षमता डिस्कॉम से लेनी होती है। साथ ही सोलर केवल 9 से 5 बजे तक ही ऊर्जा का उत्पादन करता है यानी केवल 8 घंटे। इसलिए उद्योगों को डिस्कॉम के ऊपर निर्भर रहना पड़ता है। लेकिन उद्योगों की इकाइयां 24 घंटे चलने के कारण उद्योगों को 7.50 से 8 रुपए प्रति यूनिट की दर से बिजली खरीदनी पड़ रही है। राजस्थान में महंगी बिजली होने के कारण भीलवाड़ा के उद्यमी अन्य राज्यों से पीछे रह जा रहे हैं। इसलिए उद्यमी अपने व्यापार को नीमच, मंदसौर और गुजरात में शिफ्ट कर रहे हैं।

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