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Lakkhi Fair 2025: इस पहल से मंदिर परिसर को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए साउंड सिस्टम, बैनर और पोस्टरों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है।

Lakkhi Fair 2025: राजस्थान के करौली में स्थित कैलादेवी मंदिर में अब भक्तों को पॉलीथीन में प्रसाद नहीं मिलेगा। अब मंदिर परिसर के दुकानों में कपड़े की थैली या फिर कागज की थैलियों में प्रसाद दिया जाएगा। मंदिर के 300 वर्षों के इतिहास में ये पहली बार होने जा रहा है। ऐतिहासिक कैलादेवी मंदिर में पर्यावरण संरक्षण के तहत इस बार चैत्र नवरात्रि लख्खी मेले को पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए ये पहल की जा रही है।

10 लाख टन से भी ज्यादा पॉलीथीन पर लगेगी रोक

इस पहल से मंदिर परिसर को स्वच्छ और प्लास्टिक मुक्त बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इसके लिए साउंड सिस्टम, बैनर और पोस्टरों के माध्यम से जागरूकता फैलाई जा रही है। गंगापुर से कैलादेवी तक, आगरा, मथुरा और इंदौर जैसे स्थानों पर भी होर्डिंग्स लगाए गए हैं और भक्तों से पॉलीथीन नहीं लाने की अपील की है। मेले के 60 विशेष काउंटर स्थापित किए गए हैं। इस पहल से 10 से 12 टन प्लास्टिक कचरे को रोका गया है।

प्रतिवर्ष लगता है विशाल मेला

बताते चलें कि कैलादेवी मंदिर में प्रत्येक वर्ष चैत्र माह के शुक्ल पक्ष के अष्टमी तिथि से लक्खी मेला लगता है। इस मेले में गुर्जर जाति के लोग घुटकन और लांगुरिया नृत्य करते हैं। कैलादेवी मां को सुहाग का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस मेले में महिलाएं सिंदूर और हरी चूड़ियां जरूर खरीदती हैं।

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मंदिर के बारे में

राजस्थान के करौली जिले में कैला देवी गांव में कैला देवी मंदिर स्थित है। इस मंदिर के मुख्य स्थान पर मां कैला देवी और चामुंडा देवी की मूर्ति विराजमान है। इस मंदिर में बड़ी मूर्ति कैलादेवी की है, जो थोड़ी झुकी हुई है और छोटी मूर्ति चामुंडा देवी की है। कैला देवी का मंदिर इतिहास के कारण भी लोगों में काफी प्रचलित है। 

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