Farmer campaign in Rajasthan: कई बार सरकार जो कानून या लोकनीति बनाती है, वह लोगों को पसंद नहीं आतीं। इसके कारण देश में आंदोलन होने लगते हैं। बीते कुछ समय से देश में कृषि कानूनों को लेकर देश के कई हिस्सों में आंदोलन चल रहे हैं। सरकार के द्वारा बनाए गए कृषि कानून पसंद न आने के कारण, केंद्र सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा क्योंकि देशभर भारी आंदोलन होने लगे थे। हरियाणा पंजाब के किसानों ने कई बार दिल्ली के जंतर-मंतर पर आंदोलन किया।
अभी भी हरियाणा पंजाब के शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर किसान आंदोलन कर रहे हैं। हाल ही में भी किसानों ने दिल्ली आने की कोशिश की थी, लेकिन भारी सुरक्षा होने के कारण दिल्ली आने के नाकाम रहे। इसके बाद किसानों ने रेल की पटरियों पर बैठकर आंदोलन किया, जिससे रेल यात्रियों और ट्रांसपोर्ट में काफी दिक्कतें हुई थीं। किसानों का कहना है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कुछ गारंटी कानून बनाए, यही किसानों की मांग है जिसके चलते किसान आंदोलन कर रहे हैं। अभी राजस्थान किसान महापंचायत ने एक बड़ा फैसला किया है। इसमें 29 जनवरी को राजस्थान के 45,537 गांवों को बंद रखने का फैसला लिया गया है।
क्या क्या होंगे नियम
किसान महापंचायत के अनुसार, 29 जनवरी को गांव बंद का फैसला किया गया है। इसमें गांव के लोगों को घर से बाहर नहीं निकलना है। किसी भी व्यक्ति को बस, रेल या अन्य किसी भी वाहन का इस्तेमाल नहीं करना है। अगर कुछ आपातकालीन परिस्थिति आती है, तो उसमें अलग नियम होंगे। जिसमें इन नियमों का पालन नहीं होगा। इस आंदोलन में गांव का माल केवल गांव में ही बेचा जा सकता है, किसी अन्य जगह बेचने पर पूरी तरह पाबंदी रहेगी। साथ ही कोई गांव से बाहर का व्यक्ति अगर कुछ खरीदना चाहता है, तो उसे गांव आना होगा। इन सभी नियमों का पालन, सभी गांव के लोगों को करना है।
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया कि, 'गांव बंद आंदोलन न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गारंटी कानून बनाने की मांग को लेकर है। 29 जनवरी को गांव बंद आंदोलन किया जाने वाला है। गांव बंद राजस्थान के लिए पहला प्रयोग है। यह ब्रह्मास्त्र कभी विफल नहीं हो सकता है। इसके लिए हमने हर घर से संकल्प भराना शुरू किया है। इसमें कोई भी गांव से बाहर नहीं जाएगा।'