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Rajasthan Sikar History: राजस्थान का सीकर शहर शिक्षा नगरी के नाम से भी मशहूर है। परीक्षा कोचिंग के केंद्र और सैन्य सेवा के क्षेत्र में सीकर अपना नाम पूरे देश में खूब रोशन कर रहा है। आज के इस लेख में हम जानेंगे कि कैसे इस शहर का नाम सीकर पड़ा और क्या है इसका इतिहास।

Rajasthan Sikar History: राजस्थान के शेखावाटी में बास सीकर शहर अपने किलों, शाही वंश और समृद्ध विरासत के लिए जाना जाता है। सीकर अपनी प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग के केंद्र और सैन्य सेवा के क्षेत्र में पूरे भारत में काफी प्रसिद्ध है। आज के इस लेख में हम जानेंगे सीकर के इतिहास के बारे में।

शिक्षा नगरी सीकर

सीकर ने हमेशा से अपने सांस्कृतिक गहराइयों के लिए ध्यान आकर्षित किया है। आज इसे शिक्षा नगरी के रूप में भी जाना जाता है। भारत के कोने-कोने से छात्र जेईई और नीट परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए सीकर आते हैं। 

कैसे हुई सीकर की स्थापना 

राव दौलत सिंह द्वारा 1687 ई. में सीकर शहर की नींव रखी गई थी। यह शहर जयपुर से भी 40 साल पुराना है। इस शहर की स्थापना वीरभान का बास नामक गांव की जमीन पर हुई थी। इसी के साथ वहां पर एक छोटा सा किला भी बनाया गया जो अब सुभाष चौक के नाम से मशहूर है।
इस शहर के प्रारंभिक वर्षों में सबसे प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक राजा शिव सिंह ने शहर को चार दीवारों से मजबूत किया था। इसी के साथ उन्होंने नहर प्रणाली भी विकसित की थी ‌। उनका प्रभाव इतना बड़ा था कि समय के साथ शहर उनके नाम से ही जुड़ गया। इस शहर का नाम वीरभान का बास से श्रीकर, फिर शिखर और अंत में सीकर हो गया। आपको बता दें कि एक जैन मंदिर के शिलालेख में इसे शिवकर भी कहा गया है। 

सीकर में विकास की लहर 

सीकर में विकास की लहर राव राजा कल्याण सिंह के नेतृत्व में आई। उन्होंने अपने 34 साल के शासन में बुनियादी ढांचे को मजबूत किया। 1954 की 15 जून को उन्होंने राजशाही को समाप्त कर दिया और सत्ता राज्य सरकार को सौंप दी।

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