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Chittorgarh News: आइए आज हम आपको चित्तौड़गढ़ के अनदेखे खूबसूरत नजारों के बारे में बताते हैं। जिसको देखकर आपकी आंखें खुली की खुली रह जाएगी।

Chittorgarh News: मेवाड़ की शान चित्तौड़गढ़ किला न केवल राजस्थान का एक प्रमुख ऐतिहासिक स्थल है, बल्कि यह विश्व धरोहर साइट के रूप में भी जाना जाता है। हालांकि, चित्तौड़गढ़ का जादुई सौंदर्य सिर्फ किले तक सीमित नहीं है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता और अद्भुत दृश्यावलियां (Scenery) भी पर्यटकों का ध्यान आकर्षित करती हैं। आइए हम आपको चित्तौड़गढ़ के अनदेखे खूबसूरत नजारों के बारे में बताते  हैं।

चित्तौड़गढ़ किला: एक ब्रीफ इंट्रोडक्शन

चित्तौड़गढ़ किला लगभग 700 एकड़ में फैला हुआ है और इसे 7वीं शताब्दी में बनाया गया था। किले की लंबाई 8 किलोमीटर और चौड़ाई 2 किलोमीटर है। यहां 113 मंदिर और लगभग 84 जलकुंड मौजूद हैं। यह किला राजपूतों के गौरव का प्रतीक है और यहां का गौमुख कुंड इसे तीर्थराज मानता है।

चूलिया वाटरफॉल: एक अद्भुत प्राकृतिक दृश्य

चित्तौड़गढ़ में चूलिया वाटरफॉल एक प्रमुख आकर्षण है। यह झरना चम्बल नदी पर बने राणा प्रताप सागर बांध के रास्ते में स्थित है और इसकी ऊंचाई और सुंदरता इसे एक विदेशी अनुभव की तरह महसूस कराती है। झरने की घेराबंदी में बड़ी-बड़ी चट्टानें हैं, जो इसके सौंदर्य में चार चांद लगाती हैं।

बस्सी सेंचुरी: वन्यजीवों का आशियाना

बस्सी सेंचुरी 15,290 हेक्टेयर में फैला हुआ वन क्षेत्र है, जो यहां के जल स्रोतों के कारण हमेशा हरित रहता है। बस्सी डैम में क्रोकोडाइल पॉइंट है, जहां 400 से 500 मगरमच्छ रहते हैं। बारिश के मौसम में अंडों से निकलने वाले मगरमच्छ के बच्चों के कारण इसे मगरमच्छों का गढ़ भी कहा जाता है।

अभयपुरा घाटा: रोमांचकारी सफर

चित्तौड़गढ़ से थोड़ी दूर स्थित अभयपुरा घाटा एक रोमांचकारी स्थल है। यह घाटा 822 हेक्टेयर में फैला हुआ है और यहां एक शिकारबाड़ी है, जिसे हथिनी ओदी कहा जाता है। यह स्थान कई टेली फिल्म और हॉरर मूवी की शूटिंग के लिए भी प्रसिद्ध है।

सीतामाता वाइल्डलाइफ सेंचुरी: प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत मेल

सीतामाता वाइल्डलाइफ सेंचुरी चित्तौड़गढ़ से लगभग 65 किलोमीटर दूर स्थित है। कहा जाता है कि रामायण काल में सीता ने यहीं लव-कुश को जन्म दिया था। यहां की उड़न गिलहरी वन्यजीव प्रेमियों का मुख्य आकर्षण है, जो रात के समय ही सक्रिय होती हैं।

विजय स्तंभ: विजय का प्रतीक

चित्तौड़गढ़ दुर्ग पर स्थित विजय स्तंभ, जो 1440 से 1448 के बीच बनाया गया था, 120 फीट ऊंचा है। इसमें 158 सीढ़ियां हैं और यह मालवा और गुजरात की सेनाओं पर जीत भी स्मृति बनाया था।

रानी पद्मिनी का महल: एक ऐतिहासिक संरचना

चित्तौड़गढ़ के दुर्ग में रानी पद्मिनी का महल एक महत्वपूर्ण स्थल है। इसे जनाना महल भी कहा जाता है और यह पानी के बीच स्थित है। यहां से एक मर्दाना महल भी है, जिसमें बड़े कांच लगे हुए हैं।

गौमुख कुंड: धार्मिक महत्व

गौमुख कुंड चित्तौड़गढ़ का तीर्थराज माना जाता है। इसके पास समिधेश्वर महादेव का प्रसिद्ध मंदिर है, जहां पर कई तीर्थयात्री आते हैं। यहां की जलधारा सालभर बहती रहती है।

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